हैदराबाद :भूटान ने कभी भी चीन के साथ सीमा साझा नहीं की है. हां तिब्बत के साथ इसके प्राचीन धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध साझा जरूर हैं. 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया तो साम्यवादी चीन और भूटान के बीच का अंतर समाप्त हो गया. भूटान कम्युनिस्ट चीन के सीधे संपर्क में आ गया. फिर दोनों के बीच सीमा विवाद शुरू हुआ और चीन ने मानचित्र जारी करके भूटानी क्षेत्रों पर अपना अधिकार करना शुरू कर दिया.
भूटान सीमा में प्रमुख घुसपैठ मुख्य रूप से 1967,1979,1983 और 2017 में हुई. जब भूटान और तिब्बत के बीच अनिर्धारित सीमा के कारण चीनी पक्ष द्वारा इन क्षेत्रों पर दखल किया गया. चीन, भूटान के पश्चिम में चार, उत्तर में तीन और पूर्व में सकटेंग पर अपना दावा करता है. उत्तर में यह सक्रिय रूप से जिन क्षेत्रों पर दावा करता है, वे हैं बेयुल खेनपाजोंग और मेनचुमा घाटी.
चीन, भूटान के भीतर 764 वर्ग किलोमीटर पर दावा करता है. इसमें पश्चिम में सिनचुलुंग, ड्रामाना, शाखतो और डोकलाम (भारत-चीन-भूटान त्रि-जंक्शन के पास 269 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र) और तिब्बत प्रशासनिक क्षेत्र (टीएआर) के उत्तर में स्थित जकारलुंग और पासमलुंग घाटियां शामिल हैं. जो क्रमशः 495 वर्ग किमी है. जून 2020 की शुरुआत में चीन ने सकटेंग वन्यजीव अभयारण्य के पास एक क्षेत्र पर भी दावा किया है.
चीन-भूटान के बीच सीमा वार्ता
भूटान और चीन के बीच पहली सीमा वार्ता 1984 में हुई थी और 2016 तक उन्होंने कुल 24 दौर की वार्ता की है. 2010 में वापस भूटान और चीन विवादित क्षेत्रों का एक संयुक्त क्षेत्र सर्वेक्षण करने के लिए सहमत हुए जो 2015 तक पूरा हो गया. 25वें दौर में लगभग पांच साल की देरी हुई और पहला 2017 डोकलाम गतिरोध और 2020 में COVID-19 महामारी इसका कारण बना.
2017 में भूटान ने चीन पर विवादित क्षेत्र के पास सड़क बनाकर डोकलाम में यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास करने का आरोप लगाया. भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के बीच एक सैन्य गतिरोध हुआ. अंतत: अगस्त 2017 में दोनों पक्षों ने पारस्परिक रूप से अलग होने पर सहमति व्यक्त की.
2018 में चीनी उप विदेश मंत्री कोंग ने भूटान का दौरा किया और सीमा वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए बातचीत की लेकिन वे भूटान चुनावों के कारण आगे नहीं बढ़ सके. 2019 में दोनों पक्षों में कार्यक्रम की अनुपलब्धता के कारण बैठक को बंद कर दिया गया. 2020 COVID महामारी ने दो देशों के बीच सीमा विवादों को सुलझाने के लिए आगे की बातचीत पर ब्रेक लगा दिया.
1996 का विवादास्पद सीमा पैकेज
1996 में 10वें दौर की वार्ता के दौरान चीन ने भूटान को उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र पर अपना दावा त्यागने के लिए एक अदला-बदली सौदे की पेशकश की. जिसके बदले में चीन ने केंद्रीय क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ दिया. चीन उत्तरी भूटान में पासमलुंग और जकारलुंग घाटियों में अपने दावों को त्यागने के लिए सहमत हो गया. बदले में भूटान पश्चिम में डोकलाम, सिनचुलुंग, ड्रामाना और शाखतो को स्वीकार करेगा.