जयपुर. अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीते कार्गो विमान से जयपुर एयरपोर्ट पर लाए (Cheetahs to be brought from Namibia to Jaipur) जाएंगे. जयपुर एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर में शिफ्ट करके चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर ले जाया जाएगा. इनमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल हैं. अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों की उम्र करीब 4 से 6 साल तक बताई जा रही है. सबसे तेज रफ्तार वाले जीव कहे जाने वाले चीतों की देश में वापसी होने से बनी जीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है.
आखिर चीतों को जयपुर क्यों लाया जा रहा है, इसके बारे में जानकारों से पता चला है कि एमपी के कुनो पालपुर में चीतों को छोड़ा जाएगा. कुनो पालपुर चंबल से लगता हुआ क्षेत्र है. इस क्षेत्र के नजदीक जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पड़ता है. जिसकी वजह से कार्गो विमान अफ्रीका से सीधे जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करेगा. एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक जयपुर एयरपोर्ट से चीतों को विमान से हेलीकॉप्टर में शिफ्ट कर करीब 35 मिनट में कुनो पालपुर पहुंचाया जाएगा. कार्गो विमान से हेलीकॉप्टर में चीतों को शिफ्ट करने में करीब 45-50 मिनट का समय लगेगा.
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अफ्रीका के नामीबिया से चीते 16 सितंबर को रवाना किए जाएंगे. कार्गो विमान से चीते 17 सितंबर की अल सुबह जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंच जाएंगे. सेंट्रल जू अथॉरिटी और मध्य प्रदेश वन विभाग की टीम की देखरेख में चीतो को अफ्रीका से लाया जा रहा है. जयपुर एयरपोर्ट पर चीतों को लाने के लिए रनवे मेंटेनेंस समेत तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. जयपुर एयरपोर्ट पर चीतों के स्वास्थ्य और मेडिकल सुविधाओं के लिए एक स्पेशल टीम को भी तैनात किया गया है. जिस विमान में चीतों को लाया जा रहा है, उसमें भी मेडिकल टीम को साथ में रखा गया है. चीतों के खाने-पीने और मेडिकल संबंधित तमाम व्यवस्थाएं विमान के अंदर की गई हैं.
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हालांकि राजस्थान वन विभाग के अधिकारियों को सूचना नहीं दी गई है. राजस्थान वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई तो चीतों को जयपुर एयरपोर्ट लाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के लिए पार्क में बाड़े तैयार किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीतों को बाड़ों में छोड़ेंगे. चीतों को 1 महीने के लिए क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा.
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जानकारों की मानें तो दुनिया भर में चीतों के अस्तित्व पर संकट गहरा रहा है. ऐसे में भारत में चीतों को फिर से आबाद करने की कोशिश की जा रही है. राजस्थान में चीतों के आवास के लिए अच्छे विकल्प मौजूद हैं. राजस्थान में भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर चीतों को बसाया जा सकता है. चीतों के अनुकूल राजस्थान में कई ऐसे जंगल है, जहां खुले घास के मैदान और शिकार के लिए पर्याप्त शाकाहारी वन्यजीव मौजूद हैं. राजस्थान में 1950 से पहले चीते विलुप्त हो गए थे. राजस्थान में भी चीते बसाने की कोशिश की जा रही है.
बीकानेर के गजनेर में बना था रोडमैपःअफ्रीका के नामीबिया से 8 चीते मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर को लाए जा रहे हैं. इन चीतों को भारत में लाने के लिए 13 साल पहले बीकानेर के गजनेर पैलेस में तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की मौजूदगी में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट और दुनिया भर के विशेषज्ञ चीता पुनरुत्पादन परियोजना (Roadmap for Cheetah regeneration scheme) के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एकत्र हुए. जिसे वन्यजीव ट्रस्ट ने प्रस्तावित किया था. इस बैठक में इस संभावना के परीक्षण को लेकर दो दिवसीय बैठक हुई थी. इसमें केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और चार राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डन के अधिकारियों ने भाग लिया था. इसके अलावा राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चीते के पुनरुत्पादन के लिए संभावित स्थल से जुड़े भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), IUCN के प्रतिनिधि, अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञ और भारतीय और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे.