नई दिल्ली :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कर्तव्य पथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर पिछले साल पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार 74 वें गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत की. परंपरा को ध्यान में रखते हुए तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्रगान और प्रथागत 21 तोपों की सलामी दी गई. विशेष रूप से, यह पहली बार था कि 21 तोपों की सलामी 105 मिमी भारतीय फील्ड गन के साथ दी गई थी. इसने पुरानी 25-पाउंडर तोपों की जगह ली है.871 फील्ड रेजीमेंट की सेरेमोनियल बैटरी द्वारा तोपों की सलामी दी गई. सेरेमोनियल बैटरी की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल विकास कुमार, एसएम ने संभाली थी. गन पोजिशन ऑफिसर नायब सूबेदार अनूप सिंह थे.
21 तोपों की सलामी गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की यात्राओं के दौरान दी जाती है. कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति के आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया. वायु सेना अधिकारी फ्लाइट लेफ्टिनेंट कोमल रानी द्वारा कर्तव्य पथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. साथ ही राष्ट्रगान बजाया गया और राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई.
राष्ट्रपति मुर्मू को पहले उनके निवास से राष्ट्रपति के अंगरक्षकों द्वारा उनको कार्यक्रम स्थल पर लाया गया. राष्ट्रपति के अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजीमेंट है. इस वर्ष का गणतंत्र दिवस 'राष्ट्रपति के अंगरक्षक' के रूप में विशेष है क्योंकि इसकी स्थापना 1773 में वाराणसी में हुई थी. राष्ट्रपति के अंगरक्षक के कमांडेंट, कर्नल अनूप तिवारी, राष्ट्रपति की कार के दाहिनी ओर सवार हुए, घुड़सवारों के इस विशिष्ट निकाय का नेतृत्व कर रहे थे. राष्ट्रपति की कार के बाईं ओर रेजिमेंट के सेकेंड-इन-कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल रमाकांत यादव अपने चार्जर सुल्तान पर सवार थे. यह सबसे वरिष्ठ कैवलरी रेजिमेंट है जो राष्ट्रपति के लिए माउंटेड औपचारिक कर्तव्यों का पालन करती है. इस वर्ष की परेड में मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी हैं.
इससे पहले,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति भवन से कर्तव्य पथ पहुंचे. प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री और तीनों सेना के अध्यत्यक्षों ने उनका स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार मेमोरियल पहुंचे. यहां उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस साल 74वां गणतंत्र दिवस समारोह देश के सैन्य कौशल, सांस्कृतिक विविधता और कई अन्य अनूठी पहलों का गवाह बनेगा. पिछले साल आजादी के 75वें वर्षगांठ को देशभर में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया गया.
इस वर्ष का समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के अनुसार उत्साह, देशभक्ति के उत्साह और 'जन भागीदारी' को केंद्र में रखा गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 26 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में कर्तव्य पथ से 74वें गणतंत्र दिवस समारोह पर परेड की सलामी ले रही हैं. वहीं, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी परेड में मुख्य अतिथि हैं. बता दें, महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को सप्ताह भर चलने वाले समारोह की शुरुआत हुई. इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, 23 और 24 जनवरी को नई दिल्ली में एक तरह का सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य महोत्सव 'आदि शौर्य - पर्व पराक्रम का' आयोजित किया गया था. इन कार्यक्रमों का समापन 30 जनवरी को होगा, जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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देश भर के नर्तकों के वंदे भारतम समूह के आकर्षक प्रदर्शन, वीर गाथा 2.0 प्रतिभागियों द्वारा बहादुरी की दास्तां, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्कूल बैंड द्वारा मधुर प्रदर्शन, अब तक का पहला ई-निमंत्रण, अब तक का सबसे बड़ा समारोह इस समारोह की पहचान है. ड्रोन शो और 3-डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन. परेड समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाने के साथ हुई. उन्होंने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित करने में देश का नेतृत्व किया. इसके बाद, प्रधान मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर सलामी मंच पर गये.
परंपरा के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. उसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ. सबसे पहली बार, 21 तोपों की सलामी 105 मिमी की भारतीय फील्ड गन से दी गई. इसने पुरानी 25 पाउंडर बंदूक की जगह लिया जो रक्षा क्षेत्र में बढ़ती 'आत्मनिर्भरता' को दर्शाती है. 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 1वी/वी5 हेलीकॉप्टर कर्तव्य पथ पर मौजूद दर्शकों पर पुष्प वर्षा की. परेड की शुरुआत राष्ट्रपति की सलामी लेने के साथ हुई. परेड की कमान परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, अति विशिष्ट सेवा मेडल, दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी ने संभाला. मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार परेड सेकेंड-इन-कमांड थे.
सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के गौरवशाली विजेता उनके पीछे-पीछे आये. इनमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र के विजेता शामिल हैं. परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) बाना सिंह, 8 JAK LI (सेवानिवृत्त); सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) योगेंद्र सिंह यादव, 18 ग्रेनेडियर्स (सेवानिवृत्त) और सूबेदार (मानद लेफ्टिनेंट) संजय कुमार, 13 जेएके राइफल्स और अशोक चक्र विजेता मेजर जनरल सीए पीठावाला (सेवानिवृत्त); जीप पर डिप्टी परेड कमांडर के पीछे कर्नल डी श्रीराम कुमार और लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह (सेवानिवृत्त) शामिल थे. परम वीर चक्र को शत्रु के सामने बहादुरी और आत्म-बलिदान के सबसे विशिष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाता है, जबकि अशोक चक्र को वीरता और आत्म-बलिदान के समान कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है.
मिस्र की टुकड़ी :कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फत्ताह एल खारासावी के नेतृत्व में पहली बार कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए मिस्र के सशस्त्र बलों का संयुक्त बैंड और मार्चिंग दल ने किया. दल में 144 सैनिक शामिल थे. जो मिस्र के सशस्त्र बलों की मुख्य शाखाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.