वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर आज कोर्ट ने सात अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ सुनने को लेकर बड़ा फैसला दिया. पिछले दिनों सातों याचिकाओं की सुनवाई के लिए कोर्ट में सभी मुकदमों की फाइलों को तलब की थी और इसको पढ़ने के बाद एक साथ सुनवाई के लिए फैसला देने की बात कही थी. जिस पर पहली सुनवाई की प्रक्रिया 7 जुलाई से शुरू होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था और आज आदेश जारी करते हुए सातों मुकदमों को समेकित करने के आदेश दिए है.
दरअसल ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में वादी महिला राखी सिंह, रेखा पाठक, सीता साहू और लक्ष्मी देवी के साथ ही मंजू व्यास ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज न्यायालय में एप्लीकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी. जिसमें सिविल जज न्यायालय में 6 मुकदमे और एक केस किरण सिंह की तरफ से फास्ट ट्रेक कोर्ट में चल रहा है. इन सभी को एक जगह सुनने की याचिका जिला जज न्यायालय के यहां में दी गई थी. जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित करते हुए उनके कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को तलब किया था. इसके बाद कोर्ट ने 17 अप्रैल के आदेश के मुताबिक छह सिविल कोर्ट और एक फास्ट ट्रैक कोर्ट की सात याचिकाओं को निकाल कर एक साथ जिला जज के सामने रखा था.
कोर्ट में सुनवाई के बाद 12 मई की तारीख सुनवाई के लिए मुकर्रर की गई थी जिसके बाद अलग-अलग तारीखों में सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए आज इस मामले में सातों मामलों को एक साथ कंपाइल करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट की तरफ से जिन 7 मामलों को क्लब करने की बात कही गई है उनमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका भी शामिल है, जिसमें परिसर में मिले कथित शिवलिंग को आधी विशेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग बताते हुए इसके पूजा दर्शन और राग भोग की मांग की गई है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भगवान की तुलना एक बच्चे से करते हुए उनका ध्यान रखने के लिए कोर्ट से अपील की थी. उन्होंने अनुच्छेद 21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का इसे उल्लंघन बताया था.
हिंदू पक्ष की तरफ से किए गए दावे
1. मुकदमा सिर्फ श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन के लिए दाखिल किया गया है, दर्शन पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए.
2. श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है जहां अवैध निर्माण करके मस्जिद बनाई गई है, आजादी के दिन से लेकर 1993 तक शृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी.
3. वर्क फॉर बोर्ड यह तय नहीं कर सकता की पूजा का अधिकार कहां है और किसे है, काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर 9130 देवता की जगह मानी गई है, सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है.
5.हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के बाजू खाने में कथित शिवलिंग मिला है और मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है.