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पत्नी की मौत पर 130 KM साइकिल चलाकर अंतिम संस्कार में पहुंचा पति

आगर में एक महिला की मौत के बाद उसका पति 130 किलोमीटर साइकिल से सफर तय कर घर पहुंचा और पत्नी का अंतिम संस्कार किया.

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Published : May 12, 2021, 2:24 PM IST

आगर मालवा :कोरोना के कहर के चलते हर कोई परेशान है, लेकिन आगर जिले से जो तस्वीर सामने आई है, वह बेहद भावुक करने वाली है, 130 किलोमीटर दूर एक बुजुर्ग की पत्नी का निधन हो जाता है, इसकी जानकारी मिलते ही बुजुर्ग सड़क पर जाकर साधन खोजता है. घंटों इंतजार के बाद जब उसे पत्नी के घर जाने का साधन नहीं मिलता है. तो वह अपनी साइकिल उठाकर निकल पड़ता है.

130 KM साइकिल चलाकर अंतिम संस्कार में पहुंचा पति

पत्नी की मौत के बाद 130 किमी साइकिल चलाकर पहुंचा घर
58 वर्षीय बुजुर्ग रविप्रसाद माली की पत्नी बबली अपने मायके गई थी. इसी दौरान उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उनका निधन हो गया. पत्नी के निधन के बाद उसका पति रविप्रसाद साधन की तलाश में हाइवे पर पहुंचा, लेकिन कोई साधन नहीं मिला, इसके बाद बुजुर्ग ने अपनी साइकिल निकाली और 130 किलोमीटर का सफर तय कर पत्नी के मायके पहुंचा. बुजुर्ग को आगर पहुंचने में 14 घंटे लग गए.

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साइकिल से पहुंचकर अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की
कोरोना कर्फ्यू के चलते घर के लोगों ने जिले में ही अंतिम संस्कार का फैसला किया, बुजुर्ग को इस बात की सूचना दे दी गई कि कल उनका अंतिम संस्कार होना है. बुजुर्ग को कुछ समझ नहीं आया वह साइकिल से सफर तय कर सुबह करीब सात बजे अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में पहुंचा और रस्म पूरी की.

रास्ते में किया सिर्फ एक घंटे का आराम
रविप्रसाद को पता था कि कोरोना कर्फ्यू के चलते रास्ते में खाने-पीने का इंतेजाम नहीं होगा, इसलिए घर से जो कुछ खाने का हाथ लगा, उसे लेकर वे निकल पड़े, रास्ते में घटिया गांव में करीब एक से डेढ़ घंटे विश्राम किया और फिर साइकिल चलाकर आगर पहुंच गए.

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पत्नी लंबे समय से थी बीमार
इंदौर से 10 किलोमीटर दूर तलावली गांव में बुजुर्ग रविप्रसाद माली रहते हैं और उनकी शादी 1986 में मालीपुरा आगर मालवा में हुई थी, उनकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार थी. इसलिए कुछ समय से वो अपने मायके में ही रह रही थी. पिछले कुछ दिनों से उनकी पत्नी की तबीयत ज्यादा खराब रहने लगी और इलाज के दौरान आठ मई को उनका निधन हो गया.

घर वालों ने ये जानकारी बुजुर्ग रविप्रसाद माली को दी और कोरोना कर्फ्यू के दौरान जिले में अंतिम संस्कार का फैसला किया. जानकारी मिलते ही बुजुर्ग ने साधन खोजा, जब कुछ नहीं मिला तो वो अपनी साइकिल उठाकर निकल पड़ा और 14 घंटे का सफर तय कर अंतिम संस्कार में शामिल हुआ.

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