नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि पूर्वोत्तर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 65 फीसदी की गिरावट आई है. उन्होंने यह भी कहा कि देश के तीन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र में शांति बहाली हो रही है. खासकर एलडब्ल्यूई (वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्य), पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में बदलाव आए हैं. गृह मंत्री यहां राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर पुलिस स्मृति दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद एक सभा में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति बनाए रखते हुए सख्त कानून बनाए हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार ने पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए पुलिस प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना करके दुनिया में सबसे अच्छा आतंकवाद विरोधी बल बनाने की दिशा में भी काम किया है. शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव के लिए संसद में तीन विधेयक पेश किए हैं. मंत्री ने कहा कि तीन कानून 150 साल पुराने कानूनों की जगह लेंगे और प्रत्येक नागरिक को सभी संवैधानिक अधिकारों की गारंटी देंगे और प्रस्तावित कानून भारतीयता को भी प्रतिबिंबित करेंगे.
गृह मंत्री शाह ने कहा, 'पुलिस कर्मियों के प्रयासों और उपलब्धियों की बदौलत पूर्वोत्तर में आतंक, वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 65 फीसदी की गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि चाहे आतंकवादियों से लड़ना हो, अपराध रोकना हो, भारी भीड़ के सामने कानून व्यवस्था बनाए रखना हो या आपदा के समय ढाल बनकर लोगों की रक्षा करना हो, पुलिस कर्मियों ने हर स्थिति में खुद को साबित किया है.
उन्होंने आपदा में पुलिस कर्मियों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दिनों एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के माध्यम से विभिन्न पुलिस बलों ने आपदा प्रबंधन में दुनिया भर में नाम कमाया है. उन्होंने कहा, 'चाहे कितनी भी बड़ी आपदा क्यों न हो, जब एनडीआरएफ के जवान वहां पहुंचते हैं, तो लोगों को विश्वास हो जाता है कि अब कोई समस्या नहीं है क्योंकि एनडीआरएफ आ गई है.
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पुलिस कर्मियों के कल्याण के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं में समय-समय पर बदलाव कर उन्हें बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है. उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार सभी कर्मियों के कल्याण के लिए समर्पित है और उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित है. आजादी के बाद से देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले 36,250 पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि यह पुलिस स्मारक सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति पुलिस कर्मियों के बलिदान और समर्पण की मान्यता है.
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21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के दौरान ड्यूटी पर तैनात 10 पुलिसकर्मी मारे गए. तब से हर साल 21 अक्टूबर को इन शहीदों और ड्यूटी के दौरान मारे गए अन्य सभी पुलिस कर्मियों के सम्मान में मनाया जाता है. पुलिस कर्मियों के बलिदान, राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने में उनकी भूमिका की याद में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक बनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (एनपीएम) राष्ट्र को समर्पित किया था.