अयोध्या:मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) की पावन नगरी अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर बनने के साथ-साथ अयोध्या की भव्यता को और निखारने के लिए अब अयोध्या पहुंचने वाले सभी संपर्क मार्गों पर छह प्रवेश द्वार बनाने की कवायद शुरू हो गई है. यह सभी प्रवेश द्वार 65 करोड़ की लागत से बनेंगे. राज्य सरकार ने प्रथम किस्त जारी कर दी है. दो प्रवेश द्वार बस्ती और गोंडा क्षेत्र में बनने हैं जिसे स्थानीय प्रशासन बनवाएगा.
अयोध्या में रामभक्तों के स्वागत के लिए 65 करोड़ से बनेंगे 6 भव्य द्वार - अयोध्या की खबरें हिंदी में
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है. ऐसे में राम भक्तों के स्वागत के लिए विशेष योजना तैयार की गई है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.
डीएम नीतीश कुमार ने बताया कि यह सभी प्रवेश द्वार 5 हेक्टेयर जमीन पर बनने हैं और जमीन की अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बैनामा होने के बाद निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएगा. यह प्रवेश द्वार लखनऊ हाईवे पर फिरोजपुर के पास, प्रयागराज हाईवे पर मैनुद्दीनपुर के पास,आजमगढ़ हाईवे पर राजेपुर उपरहार गांव के पास, बस्ती रोड पर इस्माइलपुर व गोंडा रोड पर कटरा के पास निर्मित होने हैं. श्रद्धालु जब राम नगरी अयोध्या के दौरे पर होंगे और प्रवेश द्वार पर पहुंचते ही उन्हें इस बात का आभास होगा कि वे राम नगरी में प्रवेश कर चुके हैं.
बताते चलें कि एक तरफ जहां देश के गृहमंत्री अमित शाह राम मंदिर निर्माण की पूर्ण होने की तारीख तय कर चुके हैं, ऐसे में अयोध्या की चर्चा विश्व स्तर पर शुरू हो चुकी है.अयोध्या धाम को विश्व नगरी बनाने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी जुट गई है. माना जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या के सभी छह भव्य प्रवेश द्वार बनकर तैयार हो जाएंगे.
त्रेता युग की तरह 6 प्रवेश द्वार जब बनकर तैयार होंगे तो अयोध्या किले के रूप में भी स्थापित हो जाएगी. विश्व पर्यटन नक्शे पर अयोध्या को लाने के लिए डबल इंजन की सरकार जुटी हुई है.अयोध्या को हर तरफ से भव्य बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाई जा रही है.अयोध्या की सड़कें हों, गलियां हों, सब चमकाई जा रही है. अयोध्या में राम पथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ व धर्म पथ का निर्माण हो रहा है. ऐसे में देश-विदेश के श्रद्धालु जब अयोध्या धाम पहुंचेंगे तो उन्हें इस बात का अहसास होगा कि यह वही राम नगरी है जो त्रेता युग में थी. त्रेता युग की रामनगरी को बसाने के लिए रामायणकालीन दृश्य भी दीवारों पर उकेरे जाने हैं.
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