बीजिंग : दो साल बीत गए, मगर कोरोना पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. आज भी दुनिया भर के लोग इसके नए-नए वैरिएंट की चपेट में आ रहे हैं. पहली और दूसरी लहर में हॉस्पिटल में एडमिट होने वाले कोरोना के मरीजों की तादाद ज्यादा थी. इस दौरान दुनिया भर में लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी. एक स्टडी में यह सामने आया है कि दो साल पहले कोरोना की चपेट में आने वाले जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है, उनमें से आधे लोगों में कोविड के एक लक्षण (symptom) बरकरार रह गया. द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन के रिसर्च के अनुसार, 2020 में महामारी के पहले चरण में संक्रमित हुए 1192 लोगों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया गया. रिसर्च में शामिल किए गए सारे सैंपल चीन से थे. स्टडी में यह भी देखा गया कि दो साल बीत जाने के बाद कोरोना संक्रमित होने वालों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ में तो समय के साथ धीरे-धीरे सुधार हुआ. हालांकि इनमें आधे लोगों में लक्षण इतने दिन बाद भी दिखे. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सुधार के बावजूद कोविड संक्रमण के दौरान हॉस्पिटल में एडमिट रहने वाले मरीजों की हेल्थ सामान्य लोगों के मुकाबले खराब है.
जो लोग लंबे समय तक कोविड-19 से संक्रमित रहे, उनमें आज भी थकान, सांस की तकलीफ और नींद से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं. रिसर्च करने वाले प्रोफेसर बिन काओ के अनुसार, रिसर्स से यह साबित होता है कि कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों के कुछ लोग तो इससे होने वाले संक्रमण से तो मुक्त हो गए मगर पूरी तरह से ठीक होने के लिए दो साल से अधिक की आवश्यकता है. बिन काओ चीन -जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कोरोना के पहले दौर के बाद से हॉस्पिटल में एडमिट होने वाले मरीजों पर अध्ययन शुरू कर दिया था.