नई दिल्ली : भारत के 5 करोड़ से अधिक बच्चों को कोविड महामारी के दौरान और उससे पहले मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का सामना करना पड़ा है. इस बात की जानकारी शुक्रवार को यूनिसेफ ने दी.
यूनीसेफ ने कहा, जैसे-जैसे महामारी फैलती गई इसका प्रकोप न सिर्फ आर्थिक स्थिति पर, बल्कि भारत में बच्चों के स्वास्थ्य और उनके मनोसामाजिक कल्याण पर भी पड़ा है.
यूनिसेफ ने एक विश्लेषण में कहा, महामारी के दौर में माता-पिता और देखभाल करने वालों पर भी तनाव बढ़ा है. स्कूल बंद होने से बच्चे कुछ नया सीखने से वंचित रहें, दोस्तों के साथ बातचीत सीमित थी, जिस कारण उनकी देखभाल करने में माता-पिता को है.
यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने कहा कि बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण एक गंभीर चिंता का विषय है.
डॉ. हक ने कहा कि बच्चों के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और देखभाल करने वालों से मनो-सामाजिक सहयोग सर्वोपरि है. सहायक संरचनाएं और क्रियाएं बच्चों और देखभाल करने वालों को तनाव, भय और चिंता से लड़ने में मदद करती हैं.
पिछले एक साल में बच्चों द्वारा सामना की जाने वाली हिंसा के जोखिम को हमने देखा है. हमें ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है, जहां लड़के और लड़कियों को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा से साथ शारीरिक सुरक्षा प्रदान की जा सके. उनकी बातें सुनकर, उनकी परेशानियों को समझकर, उनकी शंकाओं का समाधान करके, उन्हें बार-बार भरोसा दिलाकर, उनकी समस्याओं के समाधान में सहायता करके बच्चों और किशोरों की मदद करें.