गुवाहाटी में 5 आदिवासी विद्रोही समूहों ने डाले हथियार, सीएम हिमंत ने परेश बरुआ से की चर्चा की अपील
असम में तीन अलग समूहों सहित पांच आदिवासी सशस्त्र समूहों के 1,182 कैडरों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है. गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में इन सभी कैडरों ने अपने हथियार सौंपे.
5 आदिवासी विद्रोही समूहों ने डाले हथियार
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Published : Jul 6, 2023, 6:48 PM IST
गुवाहाटी: तीन अलग समूहों सहित पांच आदिवासी सशस्त्र समूहों के 1,182 कैडरों ने गुरुवार को औपचारिक रूप से हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिए. गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र के श्रीमंत शंकरदेव अंतर्राष्ट्रीय सभागार में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में हथियार पुनःपूर्ति समारोह आयोजित किया गया.
राज्य सरकार के गृह विभाग और असम पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित, पूर्व-आदिवासी सशस्त्र समूहों एसीएमए, बीसीएफ, एएनएलए, एपीए और एसटीएफ सहित तीन अलग समूहों के 1,182 कैडरों ने औपचारिक रूप से अपने हथियार आत्मसमर्पण कर दिए. पांचों संगठनों ने तीन सौ से अधिक आग्नेयास्त्र और 1,460 जीवित गोलियां प्रस्तुत कीं.
गौरतलब है कि 15 सितंबर 2022 को आदिवासी सशस्त्र संगठनों ने भारत सरकार और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. उस शांति समझौते के आधार पर आज ये संगठन औपचारिक रूप से हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आये हैं. इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मुख्यधारा में लौटने वाले कैडरों से किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र बलों में वापस नहीं लौटने का आग्रह किया.
उन्होंने कार्यकर्ताओं से समाज निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान किया. उनका कहना है कि किसी को भी हाथ में हथियार लेकर खून-खराबे का खेल खेलने का अधिकार नहीं है. यह बात हर किसी को ध्यान में रखनी चाहिए. उन्होंने आदिवासियों के विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि अगस्त या सितंबर महीने में असम सरकार की सभी नौकरियों में आदिवासियों और चाय जनजातियों के लिए 3 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाएंगे.
दूसरी ओर, उन्होंने घोषणा की कि हथियार आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने वाले 1,182 कैडरों में से प्रत्येक को तीन साल तक 6,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे. प्रत्येक को 4 लाख रुपये की सावधि जमा भी दी जाएगी. इसमें से 3 लाख रुपये लोन के तौर पर लिया जा सकता है और कई काम किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी गांवों में सड़कों का निर्माण किया जायेगा.
इसके अलावा उन्होंने परिषद से जनजातीय कल्याण एवं विकास परिषद के लिए केंद्र के 500 करोड़ रुपये और असम सरकार के 500 करोड़ रुपये से स्थायी संपत्ति बनाने के लिए डीपीआर तैयार करने का आह्वान किया. गौरतलब है कि शांति समझौते के आधार पर गठित आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद के पदाधिकारियों ने गुरुवार के समारोह में शपथ ली.
इस अवसर पर आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद के अध्यक्ष असीम हासदा, उपाध्यक्ष सुभाष तिर्की, मुख्य कार्यकारी सदस्य दुर्गा हासदा और उप मुख्य कार्यकारी सदस्य पीटर डांग सहित 12 कार्यकारी सदस्यों ने शपथ ली. यह कहते हुए कि असम में शांति लौट आई है, उन्होंने एक बार फिर उल्फा (स्वतंत्र) प्रमुख परेश बरुआ से बातचीत की मेज पर आने का आग्रह किया.