बागेश्वर (उत्तराखंड): कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र महरुढ़ी धरमघर में एक और नर मृग की मौत हो गई है. एक ही महीने में पांच मृगों की मौत से विभाग चिंतित हो गया है. पहले चार मृगों की मौत हुई तो उनके सैंपल आईबीआरआई बरेली भेजे गए थे. मृगों की मौत की जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. इस कारण उनकी बीमारी का पता नहीं चल पाया है.
कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र में पांच मृगों की मौत: अनुसंधान केंद्र में पहले तीन सितंबर को एक मृग की मौत हुई. फिर 11 सितंबर को एक और मृग ने दम तोड़ा. उसके बाद 13 सितंबर को दो कस्तूरी मृगों की मौत हो गई थी. मरने वाले एक नर और तीन मादा थीं. 21 सितंबर को एक नर मृग की फिर से मौत हो गई है. मरने वाले मृगों के घुटने के आसपास सूजन से बीमारी शुरू हुई थी. फिर उनका पेट खराब हो गया. हालांकि इस बार जो नर मृग मरा है, वह लगातार डायरिया से जूझ रहा था.
20 दिन के अंदर पांच कस्तूरी मृगों की मौत:चार मृगों की मौत के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. डीएम अनुराधा पाल ने तत्काल मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से बात की. सीवीओ डॉ कमल पंत ने चिकित्सकों की टीम मृग अनुसंधान केंद्र महरुढ़ी धरमघर भेजी. जांच के दौरान एक नर मृग बीमार पाया गया था, जिसकी अब मौत हो गई है. वर्तमान में केंद्र में 12 कस्तूरी मृग हैं. इनमें छह नर और छह मादा हैं. क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान रानीखेत के सहायक निदेशक अचिंत्य मित्रा ने बताया कि कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र महरूढ़ी में मृगों की मौत होने के मामले में सैंपल आईबीआरआई इज्जतनगर भेजे गए हैं. अब तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. रिपोर्ट आने के बाद ही मृगों की मौत की असली वजह का पता चल सकेगा.
ये भी पढ़ें: त्रेतायुग में सीता जी को पसंद था जो कस्तूरी मृग, वो केदारनाथ वाइल्ड सेंचुरी एरिया में दिखा
क्या है कस्तूरी मृग?कस्तूरी मृग एक संवेदनशील वन्य जीव है. ये मुख्यतयादक्षिण एशिया के हिमालय में पाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यूरोप में कस्तूरी मृग अब नहीं मिलते. सीमित संख्या में ये एशिया में ही बचे हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के चंबा में इनकी ठीक संख्या है. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र महरुढ़ी धरमघर इस विलुप्त होती प्रजाति के संरक्षण के लिए बनाया गया. अब इस अनुसंधान केंद्र में सिर्फ 12 कस्तूरी मृग ही बचे हैं.
क्या है कस्तूरी?कस्तूरी मृग अपनी कस्तूरी के लिए प्रसिद्ध हैं. दरअसल कस्तूरी मृग की नाभि में खुशबूदार गाढ़ा तरल पदार्थ होता है, जिसे कस्तूरी कहते हैं. इसीलिए कस्तूरी की खोज में शिकारी कस्तूरी मृग के पीछे पड़े रहते हैं. कस्तूरी केवल नर कस्तूरी मृग की नाभि में पायी जाती है.