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मौजूदा माननीयों के खिलाफ 4984 मामले लंबित, सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार (report submitted to the Supreme Court) 1 दिसंबर 2021 तक मौजूदा संसद सदस्यों (Members of Parliament) और विधानसभा सदस्यों (member of legislative assembly) के खिलाफ कुल 4984 मामले लंबित हैं.

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Published : Feb 4, 2022, 3:23 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 4:14 PM IST

नई दिल्ली : एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया (Amicus Curiae Vijay Hansaria) ने देश भर के उच्च न्यायालयों से लिए गए आंकड़ों को संकलित करने के बाद आरोपी विधायकों को चुनाव लड़ने से वंचित करने से संबंधित एक याचिका में कहा कि मौजूदा माननीयों के खिलाफ 4984 मामले (4984 cases pending ) लंबित हैं.

शीर्ष अदालत में प्रस्तुस रिपोर्ट के मुताबिक जो मामले 2 वर्ष तक से लंबित हैं उनकी संख्या 1599 है. 2 से 5 वर्ष के बीच लंबित मामलों की संख्या 1475 है और 5 वर्षों से अधिक से लंबित मामलों की संख्या 1888 है. 4 अक्टूबर 2018 से कुल 2775 मामलों का निपटारा किया गया है. इससे पता चलता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति संसद और राज्य विधानसभाओं में सीटों पर अधिक से अधिक कब्जा कर रहे हैं. इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान के लिए तत्काल और कड़े कदम उठाए जाएं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों में सांसदों और विधायकों के मामलों से निपटने के लिए विशेष अदालतें हैं. लेकिन अन्य राज्यों में संबंधित क्षेत्राधिकार अदालतें विधायकों के खिलाफ उन्हें आवंटित रोस्टर के साथ परीक्षण कर रही हैं. साथ ही यह भी निवेदन किया कि केन्द्र सरकार द्वारा दिनांक 25-08-2018 के आदेश के अनुसार कोई उत्तर दाखिल नहीं किया गया है.

यह आवश्यक है कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले की सुनवाई करने वाली सभी अदालतें इंटरनेट सुविधा के माध्यम से अदालती कार्यवाही के संचालन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे से लैस हों. याचिका में निचली अदालत को 5 साल से अधिक समय से लंबित मामलों की रिपोर्ट संबंधित उच्च न्यायालयों को देने का सुझाव दिया गया है. साथ ही देरी के कारणों और उपचारात्मक उपायों का सुझाव देने के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई है.

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यह भी प्रार्थना की गई है कि हाईकोर्ट एक प्रस्ताव प्रस्तुत करे, जिसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधाओं के लिए आवश्यक धनराशि के संबंध में विधि सचिव और केंद्र को प्रस्ताव दिया जाए और उस पर 2 सप्ताह के भीतर कार्रवाई हो. यह राज्य सरकार के साथ अंतिम समायोजन के अधीन होगा. इसके अलावा ईडी, सीबीआई और एनआईए के समक्ष लंबित मामलों की जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में निगरानी समिति गठित करने का भी निर्देश दिया जाए.

Last Updated : Feb 4, 2022, 4:14 PM IST

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