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हरियाणा में 43 साल के संत दे रहे हैं 10वीं का एग्जाम, खड़े-खड़े ही लिखते हैं पेपर

हरियाणा में गुरुवार से एक बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं. दरअसल भिवानी में खंड़ेसुरी बाबा मान गिरी महाराज ने खड़े-खड़े दसवीं की परीक्षा (Saint standing Examination in Bhiwani) दे रहे हैं. आखिर बाबा के खड़े होकर परीक्षा देने के पीछे क्या है वजह ? पढ़ें रिपोर्ट

Saint gave tenth board examination in Bhiwani
Saint gave tenth board examination in Bhiwani

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Published : Apr 1, 2022, 5:37 PM IST

भिवानी: हरियाणा में 10वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षाएं चल रही हैं. करीब 6.5 लाख बच्चे बोर्ड एग्जाम में शामिल हैं. इन परीक्षार्थियों में 43 साल के एक संत भी शामिल हैं, जो भिवानी के पंडित सीताराम गर्ल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 10वीं का एग्जाम दे रहे हैं. परीक्षा दे रहे इस संत की खासियत यह है कि वह लेक्चर स्टैंड पर खड़े रहकर सवालों का जवाब लिखते हैं जबकि अन्य बच्चे डेस्क पर बैठकर पेपर लिखते है. खड़ेसुरी बाबा के तौर पर मशहूर मान गिरी महाराज उर्फ संत सुरेंद्र रात में तपस्या करते हैं और दिन में एग्जाम देते हैं.

एग्जाम सेंटर पंडित सीताराम गर्ल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तपस्वी संत की परीक्षा को लेकर विशेष व्यवस्था भी की गई है. उन्हें पेपर लिखने के लिए लेक्चर स्टैंड उपलब्ध करवाया गया है. अभी संत सुरेंद्र ने अभी एक विषय की परीक्षा दी है. वह 26 अप्रैल तक दसवीं की परीक्षा के सभी विषयों के पेपर भी लिखेंगे.

मान गिरी महाराज उर्फ संत सुरेंद्र से जानिए कि वह इस उम्र में एग्जाम क्यों दे रहे हैं.

खड़े होकर क्यों दी परीक्षा- दरअसल खंड़ेसुरी बाबा मान गिरी महाराज मानव कल्याण के लिए 41 दिनों की खड़ी तपस्या का संकल्प लेकर तप कर रहे हैं. नाज मंडी के सामने पंचमुखी हनुमान मंदिर में उनकी तपस्या 14 मार्च को शुरू हुई. इसी बीच दसवीं ओपन बोर्ड की परीक्षा की डेट आ गई. चूंकि बाबा तपस्या का प्रण ले चुके थे, इसलिए उन्होंने खड़े होकर परीक्षा देने का मन बना लिया. संत सुरेंद्र ने परीक्षा की तैयारी भी खड़े-खड़े ही कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि खड़े होने के प्रण के कारण वह अन्य दूसरा काम कर नहीं सकते, इसलिए एग्जाम की तैयारी कर वह इस समय का लाभ ले रहे हैं.

बाबा होकर क्यों दे रहे हैं परीक्षा ?- फिलहाल सवाल यह भी उठता है कि आखिर एक संत होकर इन्होंने यह परीक्षा क्यों दी ? दरअसल कई साल पहले एक इंटरव्यू के दौरान किसी ने उनकी पढ़ाई के बारे में सवाल पूछ लिया था. स्कूली शिक्षा पूरी नहीं होने के कारण वह जवाब नहीं दे सके. उनका मन व्यथित हो गया और उन्होंने पढ़ाई करने का निश्चय कर लिया. उन्होंने दसवीं (ओपन) की परीक्षा का आवेदन किया और अब परीक्षा दे रहे हैं. बाबा ने बताया कि वे पास होने के लिए नहीं, बल्कि मेरिट में आने के लिए परीक्षा दे रहे हैं.

युवाओं के लिए संदेश-खड़ेसुरी बाबा का एग्जाम देने का एक और भी उद्देश्य है. वह उन बच्चों को पढ़ाई करने का संदेश देना चाहते हैं, जिनका मन पढ़ाई से भटक गया है. बाबा का कहना है कि जब एक बाबा इस उम्र में आकर भी पढ़ाई कर रहा है, तो युवाओं को अपने बेहतर भविष्य के लिए पूरी मेहनत से पढ़ाई करनी चाहिए.

बाबा ने बताया कि संत महात्माओं का ज्यादातर समय आध्यात्मिक ज्ञान देने व लेने में बीतता है. किताबी ज्ञान में उनकी ज्यादा रुचि नहीं रहती. वे आत्मा और परमात्मा के बीच के भेद को मानव तक पहुंचाने में ही अपने को एकाकार किए रहते हैं. मगर किताबी ज्ञान ग्रहण करना भी एक अलग ही महत्व रखता है. परीक्षा केंद्र में स्कूल प्राचार्य डॉ. कांता गौड़ ने बताया कि परीक्षा देने आए एक बाबा ने लेक्चर स्टैंड का अनुरोध किया था, जिसे परीक्षा केंद्र अधीक्षक की अनुमति के बाद उपलब्ध कराया गया है.

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