नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के चुशूल में तापमान शून्य से 20 डिग्री नीचे आने के साथ-साथ भारत और चीन के बीच वार्ता भी ठंडे बस्ते में चली गई है. छह नवंबर को आठवें दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है.
अप्रैल-मई के बाद से यहां दोनों देशों द्वारा विशाल गोला बारूद के अलावा 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया गया और अब हर दिन बढ़ती ठंड ने पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए बातचीत के अगले दौर की संभावना को भी समाप्त कर दिया है.
इस मुद्दे पर एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि क्योंकि आठवें दौर की वार्ता ने आगे की वार्ता की संभावना को बरकरार रखा था, लेकिन पिछले 42 दिनों में दोनों पक्षों के बीच कोई संवाद नहीं हुआ है. दोनों ही देश पूरी तरह से शांत पड़े हैं.
इसके अलावा यहां मौसम में तेजी से बदलाव होने के कारण लोगों और मैटेरियल की किसी भी तरह की आवाजाही नहीं हो पाती है, फिर चाहे वो विघटन हो या फिर डी-एस्केलेशन. यहां किसी तरह की आवाजाही संभव नहीं है.
ईटीवी भारत ने 29 अक्टूबर को बताया था कि आठवें दौर की वार्ता (जो 6 नवंबर को हुई थी) संभवतः दो कारकों के कारण अंतिम साबित हो सकती है.
पहला यह कि चीनी सेना के कमांडर के साथ भारतीय सेना के कमांडर और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के साथ बातचीत में चीनी सेना इस बात पर सहमत हो जाए कि सीमांकन की प्रकृति को जाने बिना डी-एस्केलेशन किस तरह किया जाए. इस मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता होगी.