अहमदाबाद:गुजरात के अमरेली जिले में दो वर्ष के दौरान एक के बाद एक भूकंप के झटकों की झड़ी लग गई और यहां करीब 400 बार हल्के झटके दर्ज किये गये. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. भूकंप विज्ञानी इस स्थिति को 'भूकंप स्वार्म' कहते हैं. 'स्वार्म' अधिकतर छोटे स्तर के भूकंपों का क्रम होता है जो अक्सर कम समय के लिए आते हैं, लेकिन ये कई दिनों तक जारी रह सकते हैं.
ये झटके अमरेली के मिटियाला गांव में भी महसूस किये गये, जहां के निवासियों ने एहतियात के रूप में अपने घरों के बाहर सोना शुरू कर दिया ताकि वे किसी बड़े भूकंप से होने वाली अनहोनी से बच सकें. मिटियाला निवासी मोहम्मद राठौड़ ने बताया कि झटके की आशंका के चलते सरपंच समेत गांव के ज्यादातर लोग रात में अपने घरों के बाहर सोने लगे हैं.
सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित अमरेली जिले में ‘भूकंप स्वार्म’ के कारण को स्पष्ट करते हुए गांधीनगर स्थित भूकंपीय शोध संस्थान (आईएसआर) के महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि मौसमी भूकंपीय गतिविधियों की वजह ‘टेक्टॉनिक क्रम’ और जलीय भार है. इस महीने 23 फरवरी से 48 घंटों के अंदर अमरेली के सावरकुंडला और खंबा तालुका में 3.1 से 3.4 की तीव्रता के चार झटके दर्ज किए गए, जिसके कारण यहां के निवासी चिंतित हैं.
तुर्किये में हाल ही में 45,000 से अधिक लोगों की जान लेने वाले विनाशकारी भूकंप के बाद अमरेली में भूकंपीय गतिविधियां देखी जा रही हैं. गुजरात के कच्छ जिले में जनवरी, 2001 में शक्तिशाली भूकंप के कारण 19,800 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1.67 लाख लोग घायल हो गये थे. चोपड़ा ने कहा, पिछले दो साल और दो महीनों के दौरान हमने अमरेली में 400 हल्के झटके दर्ज किये हैं, जिनमें से 86 फीसदी झटकों की तीव्रता दो से कम थी, जबकि 13 फीसदी झटकों की तीव्रता दो से तीन के बीच थी. केवल पांच झटकों की तीव्रता तीन से अधिक थी.