लखनऊ :उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित मलिहाबाद में आम का एक ऐसा पेड़ है, जिस पर 40 किस्म के आम उगते हैं. इस अनोखे आम के पेड़ को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह कैसे संभव है. जिस आम के पेड़ की इतनी चर्चा हर तरफ हो रही है, उसे बेहद ही खास तरीके से लगाया गया है. इसे तैयार करने में लगभग तीन साल का समय लगा है और अब इसमें अलग-अलग किस्म के आम आ रहे हैं.
बागवान ने उगाए पेड़ पर 40 तरह के आम
मलिहाबाद के मुंजासा गांव के रहने वाले सलीम नाम के बागवान ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने आम के एक ही पेड़ से 40 किस्म के आम उगाए हैं. उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति से ग्राफ्टिंग तकनीक का सहारा लेते हुए आम की एक खास पौध विकसित की है, जिसमें 40 तरह के आम लगे हुए हैं. मो. सलीम की गिनती जिले के प्रगतिशील किसानों में होती है.
सलीम अहमद बताते हैं कि उन्होंने एक ही पेड़ में 40 अलग-अलग किस्में ईजाद की हैं. जिसमें कुछ किस्मों के नाम जैसे कि अल्फांसो, सांसेसन, डामो अटकिंन, उसा सोलिया, हरदिल अजीज, हिम सागर, गुजरात का केसर, बगनपल्ली, अंंबिका, सिंधु, बिज्जू, मालदा, आम्रपाली, मक्खन, गुलाब खाश, आम खाश, अरुणिमा, राम केला, लंगड़ा, चौसा, मटियारा, खसोमखास, अमेरिकन ऐप्पल, जर्दालु समेत अन्य ढेर सारी किस्में को ईजाद किया है.
कई बार किए जा चुके हैं सम्मानित
सलीम अहमद लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आम महोत्सव में लगी प्रदर्शनी में कई बार सम्मानित किए गए हैं. वर्ष 2017 में खसोमखश आम को लेकर उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला था, तो वहीं वर्ष 2019 में तीन आमों को लेकर जिसमें खसोमखास, लंगड़ा और संसेसन को लेकर प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया था.
क्या है ग्राफ्टिंग पद्धति ?
सलीम अहमद की जैद नाम से नर्सरी है. सलीम के पास चार एकड़ का अपना एक बागान भी है. जहां उन्होंने बागवानी में कई सारे प्रयोग किए हैं. ग्राफ्टिंग तकनीकी उन्हीं प्रयोगों का हिस्सा है. इस बारे में ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि बागान में सभी छोटे आम के पेड़ क्रॉस पद्धति या ग्राफ्टिंग पद्धति के ही हैं. उन्होंने कहा कि क्रॉस पद्धति में अलग-अलग किस्म के जर्दालू, दशहरी, मालदा, बिज्जू, लंगड़ा और कलमी सहित अन्य किस्म के आम के पौधे लगाए जाते हैं.