नई दिल्ली : कोविड-19 की वजह से लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखने का 'विनाशकारी प्रभाव' पड़ा है. एक हालिया सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 37 प्रतिशत ग्रामीण विद्यार्थी बिल्कुल पढ़ाई नहीं कर रहे हैं और 48 फीसदी बच्चों को पढ़ाई के नाम पर कुछ शब्दों के अलावा कुछ नहीं आता है.
दि स्कूल चिल्ड्रेन्स ऑनलाइन एंड ऑफलाइन लर्निंग' (एससीएचओओएल) सर्वे ने 'लॉक्ड आउट: इमरजेंसी रिपोर्ट ऑन स्कूल एजुकेशन' शीर्षक से सर्वेक्षण के नतीजों को जारी किया है. यह सर्वेक्षण 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वंचित परिवारों से आने वाले करीब 1400 स्कूली बच्चों पर अगस्त महीने के दौरान किया गया.
इसमें कहा गया है, 'इस सर्वेक्षण से जो तस्वीर सामने आई है वह घोर निराशाजनक है. सर्वेक्षण के समय ग्रामीण इलाकों में केवल 28 प्रतिशत बच्चे ही नियमित तौर पर पढ़ाई कर रहे थे जबकि 37 प्रतिशत बच्चे बिल्कुल पढ़ नहीं रहे हैं. सामान्य पढ़ाई की क्षमता को लेकर सर्वेक्षण के नतीजे आगाह करने वाले है क्योंकि इसमें शामिल करीब आधे बच्चे कुछ शब्दों के अलावा कुछ भी नहीं पढ़ पा रहे थे.'
सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि शहरी इलाकों में नियमित तौर पर पढ़ाई करने वाले, बिल्कुल पढ़ाई नहीं करने वाले और कुछ शब्दों से अधिक न पढ़ पाने वाले बच्चों का प्रतिशत क्रमश: 47 प्रतिशत, 19 प्रतिशत और 42 प्रतिशत है.एससीएचओओएल ने बताया कि उसका सर्वेक्षण वंचित बस्तियों पर केंद्रित था जहां पर रहने वाले बच्चे आम तौर पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं.
सर्वेक्षण के मुताबिक नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों का अनुपात शहरी और ग्रामीण इलाकों में क्रमश: 24 और आठ प्रतिशत है. सर्वेक्षण में रेखांकित किया गया कि पैसे की कमी, खराब कनेक्टिविटी या स्मार्टफोन की अनुलब्धता विद्यार्थियों तक ऑनलाइन शिक्षा की सीमित पहुंच के कुछ कारण रहे.
यह भी पढ़ें-वैश्विक समुदाय को सुनिश्चित करना चाहिए कि दुनिया के सभी देशों में वैक्सीन पहुंचे : लोक सभा अध्यक्ष