रुद्रप्रयाग/उत्तरकाशी :नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद आज से चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है. केदारनाथ धाम में यात्रा के पहले दिन 452 श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे. जिसमें 100 लोगों ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं. इन लोगों में 22 स्थानीय लोग भी शामिल हैं. यात्रा खुलने से केदारघाटी के लोगों में खासा उत्साह बना हुआ है. यात्रा पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों की चहल-कदमी से वीरान पड़े बाजारों में रौनक लौट आई है. यात्रा शुरू होने से घोड़ा-खच्चर मजदूर, वाहन चालक, ढाबा, होटल, लाज व्यवसायी में खुशी देखी जा रही है. हालांकि अब चारधाम यात्रा के कपाट बंद होने में करीब डेढ़ माह का समय बच है. इसके बाद भी चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायियों और तीर्थ पुरोहितों को उम्मीद है कि यात्रा खुलने के बाद कुछ सीमा तक आजीविका में सुधार हो पायेगा.
चारधाम यात्रा के खुलने के अवसर पर ईटीवी भारत की टीम गंगोत्री धाम पहुंची और यहां पर मां गंगा के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं से जाना कि ये यात्रा कितनी महत्वपूर्ण होती है. वहीं गंगोत्री मंदिर धाम समिति ने हाईकोर्ट और मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है.
रुद्रप्रयाग जिले में ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध केदारनाथ धाम, द्वितीय केदार मद्महेश्वर एवं तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ का मंदिर है, जहां ग्रीष्मकाल की यात्रा के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन दो साल से कोरोना महामारी के चलते यात्रा पर गहरा प्रभाव पड़ा है. ऐसे में केदारघाटी, तुंगनाथ व मदमहेश्वर घाटी के लोगों की आजीविका पर बुरा असर देखने को मिला है.
पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण यात्रा को तीन माह बाद खोला गया था, जिसके बाद श्रद्धालुओं को धाम आने की अनुमति मिली थी. उस दौरान कम संख्या में यात्रियों के आने से लोगों का रोजगार सही तरीके से नहीं चल सका था. उन्हें उम्मीद थी कि साल 2021 की यात्रा में उन्हें सुखद महसूस होगा, मगर इस वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते यात्रा को पूर्ण रूप से बंद किया गया. हाईकोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यात्रा पर रोक लगा दी.
केदारघाटी के 80 प्रतिशत लोगों की रोजी-रोटी चारधाम यात्रा पर ही टिकी हुई है. 6 माह यात्रा में काम करने के बाद यहां के लोग सालभर का गुजारा करते हैं. यात्रा खुलने से वाहन चालक, डंडी-कंडी, घोड़ा-खच्चर, ढाबा, होटल व्यापारियों ने राहत की सांस ली है. उन्हें उम्मीद है कि डेढ़ महीने की यात्रा से उन्हें अच्छा रोजगार मिलेगा और वे अपने परिवार का लालन-पालन कर सकेंगे.
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