दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Neerja Bhanot की पुण्यतिथि : ...जब अपनी जान की परवाह किए बगैर बचाई 400 लाेगाें की जान

जैसा कि आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है, ऐसे में जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं ताे हमें 23 वर्षीय एक ऐसी युवती का ख्याल आता है जिसने हमें कुछ ऐसा सिखाया जाे भले ही स्कूल की कक्षा में नहीं पढ़ाया जाता है लेकिन जीवन में बहुत सीख दे जाता है, जी हां हम बात कर रहे नीरजा भनाेट की, जिन्हाेंने अपनी जान गंवाकर 400 लाेगाें की जान बचाई थी.. पढ़ें पूरी खबर...

नीरजा
नीरजा

By

Published : Sep 5, 2021, 4:31 AM IST

Updated : Sep 5, 2021, 6:07 AM IST

हैदराबाद :नीरजा भनोट मुंबई में पैन एम एयरलाइन्स की क्रू मेंबर में शामिल थीं. 5 सितंबर 1986 काे आतंकियाें से यात्रियाें की जान बचाते हुए नीरजा ने अपनी जान दे दी. आतंकियाें ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी. उनके पास पहले खुद को बचाने का विकल्प था, लेकिन उन्हाेंने दूसरों की जान बचाने का फैसला किया.

नीरजा का जन्म 7 सितंबर 1962 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई चंड़ीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल (Sacred Heart Senior Secondary School) से की. उन्होंने मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया.

आपको बता दें, नीरजा के पिता एक पत्रकार थे. मां गृहिणी थी. परिवार में सब उन्हें 'लाडो' कहकर बुलाते थे.

नीरजा लगभग 18 साल की थीं, जब उनके कॉलेज के बाहर एक फोटोग्राफर ने उन्हें मॉडलिंग के लिए संपर्क किया था. एक बार विज्ञापन छपने के बाद नीरजा को मॉडलिंग के ऑफर आने लगे. तब से नीरजा विज्ञापन की दुनिया में एक जाना-पहचाना चेहरा बन गईं.

स्कूल के दिन

अपनी खूबसूरत 5'9" लंबाई और आत्मविश्वास से भरी मुस्कान के साथ नीरजा ने बिनाका, वेपोरेक्स, चार्मिस कोल्ड क्रीम, क्रैक जैक बिस्कुट, अमूल चॉकलेट, बेंज़र, चिराग दीन आदि के विज्ञापनों में काम किया. उन्हें मनाेरमा जैसी चर्चित पत्रिकाओं के कवर पेज पर भी देखा गया.

उसके परिवार ने शारजाह, (संयुक्त अरब अमीरात) में उनके लिए एक लड़के काे पसंद किया. वह बिना काेई सवाल किए अपने पिता के फैसले पर सहमत हो गईं और मार्च 1985 में उनकी शादी हो गई, लेकिन दो महीने के भीतर ही पति के दुर्व्यवहार, ताने और धमकियाें की वजह से भनोट ने अपने पति को छोड़ दिया. मुंबई लौट आईं और फ्लाइट अटेंडेंट बनने का फैसला किया.

परिवार में सब Neerja Bhanot काे 'लाडो' कहकर बुलाते थे

23 साल की फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट राजेश खन्ना की प्रशंसक थी. 5 सितंबर काे मुंबई से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए उड़ान भरने वाली पैन एम फ्लाइट 73 में उन्हें सीनियर फ्लाइट पर्सर (senior flight purser) नियुक्त किया गया था. नीरजा 24 साल की होने में हाेने वाली थी लेकिन 5 सितंबर, 1986 को तड़के पैन एम फ्लाइट 73 में अपने केबिन-क्रू ड्यूटी में शामिल होने के लिए आखिरी बार घर से निकली थीं.

कराची में फ्लाइट के ठहराव के दौरान अबू निदाल संगठन से संबंधित चार सशस्त्र फिलिस्तीनी आतंकियाें ने विमान का अपहरण कर लिया, जिसमें लगभग 380 यात्री और चालक दल के 13 सदस्य थे.

भनोट ने हाईजैक कोड का उपयोग करके कॉकपिट चालक दल को तुरंत सतर्क कर दिया, जिसने अमेरिकी पायलटों को भागने की अनुमति दी और इस तरह विमान को जमीन पर उतार दिया.

अपहर्ताओं ने उन्हें यात्रियों के पासपोर्ट लेने का आदेश दिया. यह महसूस करते हुए कि अपहरणकर्ता के मुख्य लक्ष्य अमेरिकी थे, भनोट और उनके चालक दल ने उन पासपोर्टों को सीटों के नीचे और कूड़ेदान में छिपा दिया. ऐसा कहा जाता है कि उनकी उपस्थिति ने यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मनाेबल काे गिरने नहीं दिया.

यह 17 घंटे तक चला. उन्हाेंने सैंडविच और पेय पदार्थ परोसे और यात्रियाें का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की जबकि इस दाैरान आतंकवादियों ने एक यात्री को मार डाला और उसे विमान से बाहर फेंक दिया.

जब अपहर्ताओं ने अंततः गोलियां चलानी शुरू की तो भनोट ने आपातकालीन निकास के माध्यम से अधिक से अधिक यात्रियों को तेजी से निकाला. तीन अमेरिकी बच्चों को आतंकवादियों से बचाने के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. विमान में सवार 44 अमेरिकियों में से 42 को भनोट की सूझबूझ से बचा लिया गया था. हमले में जीवित बचे लोगों ने उन्हें 'हाईजैक की नायिका' उपनाम से सम्मानित किया.

भनोट की विरासत :

नीरजा भनोट के साहस और बुद्धिमता के लिए मरणोपरांत पुरस्कारों की भरमार लग गई, जिसमें भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र शामिल है. वह इस पुरस्कार काे पाने वाली पहली और सबसे कम उम्र की महिला थीं.

नीरजा भनोट को पाकिस्तान द्वारा तमघा-ए-इंसानियत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और 2004 में भारतीय डाक सेवा ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया. उनकी कहानी महिलाओं को प्रेरित करती रहेगी.

नीरजा भनोट के परिवार ने पैन एम से मिले फंड से नीरजा भनोट पैन एम ट्रस्ट की स्थापना की. ट्रस्ट उन भारतीय महिलाओं के लिए काम करता है जो सामाजिक अन्याय की शिकार हैं और एयरलाइन चालक दल के सदस्यों काे भी संकट में मदद करती है.

2018 में नीरजा के भाई अनीश भनोट ने अपनी बहादुर बहन पर 'द स्माइल ऑफ करेज' नाम से एक जीवनी लिखी.

2016 में राम माधवानी ने सोनम कपूर अभिनीत नीरजा पर बनी बायोपिक का निर्देशन किया. बायोपिक में भनोट के निजी जीवन की कुछ प्यारी झलकियां शामिल हैं, खासकर उनकी मां के साथ उनके रिश्ते (शबाना आज़मी द्वारा अभिनीत). इस फिल्म ने भी कई पुरस्कार जीते, जिसमें हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल है.

Last Updated : Sep 5, 2021, 6:07 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details