हैदराबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन जी वैद्य (Saha Sarkaryavah Dr Manmohan ji Vaidya) ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि स्वयंसेवक समाज के विभिन्न वर्गों में काम कर रहे हैं. जिसमें छात्र, मजदूर, किसान आदि शामिल हैं.
वे सक्षम जैसे संगठनों के माध्यम (through organizations like Saksham) से शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के बीच भी काम कर रहे हैं. इस बैठक में ऐसे 36 स्वतंत्र और स्वायत्त संगठनों ने भाग लिया. 24 महिलाओं सहित 216 प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद थी, जिनमें से 91% ने भाग लिया.
प्रतिनिधियों ने बच्चों में कुपोषण उन्मूलन और रोजगार सृजन (Malnutrition alleviation and employment generation) की पहल पर विचार-विमर्श किया. भारत केंद्रित शिक्षा की पहल पर चर्चा हुई. स्वराज 75वें वर्ष में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सहित हजारों गुमनाम नायकों के योगदान को मान्यता देने की आवश्यकता पर चर्चा की गई.
बुद्धिजीवियों के बीच काम करने वाले संगठनों द्वारा 250 ऐसे वीर जीवन का दस्तावेजीकरण किया गया है. संस्कार भारती द्वारा 75 नाटक बनाए गए हैं. कोविड की तीसरी लहर की तैयारी में 10 लाख लोगों को 6000 विकास प्रखंडों (मंडलों) को प्रशिक्षित किया गया है.
संघ की शाखाएं जो पहले महामारी के दौरान बंद थीं, अब फिर से शुरू हो गई हैं. 2019 अक्टूबर की तुलना में 93% जगहों पर संघ का काम फिर से शुरू हो गया है. बड़ी संख्या में युवा हमारी वेबसाइट के माध्यम से भी संघ में शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं. संघ की 55000 शाखाएं चल रही हैं.
मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. वैद्य ने बताया कि संघ पूरे समाज को मजबूत करने का काम कर रहा है और जागरूक समाज ही समस्याओं का समाधान करेगा. भारत ऐतिहासिक रूप से एक कल्याणकारी राज्य नहीं रहा है और जब भी आवश्यक हो समाज ने सरकार से सहायता मांगी है.