पोरबंदर:एमवी कुबेर को शायद ही किसी परिचय की आवश्यकता है, ट्रॉलर का नाम सुनते ही यह आपको मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए 26/11 के हमले की याद दिलाएगा, आतंकियों ने एमवी कुबेर का गहरे समुद्र में अपहरण कर लिया था. देश इस हमले की 14वीं बरसी पर शनिवार को 160 शहीदों को शोक और श्रद्धांजलि देगा, लेकिन यह नाव 2009 में मुंबई से वापस लाए जाने के बाद पोरबंदर बंदरगाह से कभी बाहर नहीं निकली.
हीरालाल मसानी और उनके भाई विनोद मसानी मछली पकड़ने के व्यवसाय में थे और उन्होंने साल 2000 में धन के देवता 'कुबेर' के नाम पर ट्रॉलर खरीदा था. हीरालाल ने आईएएनएस से कहा, हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि नवंबर 2008 में पोरबंदर बंदरगाह से रवाना हुआ ट्रॉलर अपनी अंतिम यात्रा पर था और जब हम ट्रॉलर वापस लेंगे तो हम चालक दल के पांच सदस्यों को खो देंगे.
हीरालाल ने कहा कि मुंबई एटीएस या गुजरात पुलिस ने हमें कभी परेशान नहीं किया क्योंकि उन्हें हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, पाकिस्तान को एक भी फोन कॉल या कोई अन्य सबूत नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जब भी उनके भाई विनोदभाई को मुंबई एटीएस द्वारा बुलाया जाता था, तो वह उन्हें घर का बना खाना खिलाते थे. यहां तक कि जब परिवार कानूनी लड़ाई लड़ रहा था और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पूछताछ की जा रही थी, मसानी परिवार ने अपने चालक दल के सदस्यों की परवाह की जो मारे गए थे. हीरालाल ने कहा कि उनके परिवार ने प्रत्येक मृतक चालक दल के सदस्य के परिवारों को 1.50 लाख रुपये का मुआवजा दिया.