चरखी दादरी :12 नवंबर 1996 की उस शाम को लोग आज भी याद कर सिहर उठते हैं. दरअसल चरखी दादरी से पांच किलोमीटर दूर गांव टिकान कलां और सनसनवाल के पास सऊदी अरब का मालवाहक विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्री विमान आपस (Passenger planes crash) में टकरा गए थे. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हादसे के साथ ही आसमान में बिजली सी कौंधी और दोनों विमानों में सवार 349 लोगों की जिंदगियां पलभर में ही आग के शोलों में समा गई.
गांव में मचा था हड़कंप
यहां के निवासी उस दिन को याद कर बताते हैं कि ठंड मौसम था और उस दिन आसमान खुला और साफ भी था. शाम करीब साढ़े 6 बजे अचानक उनके आसपास खेतों में आग के गोले बरसने लगे. लोग घबराकर घरों के बाहर भागे. ग्रामीण आशंका से भरे हुए थे, लेकिन तभी खेतों की ओर से कुछ ग्रामीण बदहवास दौड़ते आते दिखाई दिए.
'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है'
ग्रामीणों ने पहले पुलिस को सूचित किया. लोगों के मुंह से बस एक ही बात निकल रही थी, 'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है' मतलब 'खेतों में विमान पड़े हुए हैं'. ये एक भीषण विमान हादसा था. कुछ ही घंटों बाद दुनियाभर में इस हादसे की चर्चाएं होने लग गईं.
विपरीत दिशाओं से आ रहे थे विमान
सऊदी अरब एयरलाइंस का विशाल विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का मझौला यात्री विमान हवा में टकरा गए थे. जिस वक्त ये टक्कर हुई, उस वक्त दोनों चरखी दादरी के ऊपर से विपरीत दिशा में उड़ रहे थे. एक ने दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी, तो दूसरा दिल्ली में उतरने वाला था. शाम करीब साढ़े 6 बजे दोनों हवा में टकराकर दुघर्टनाग्रस्त हो गए.
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हादसे के बाद खेत हो गए थे बंजर
किसान धर्मराज फौगाट, भूपेंद्र सनवाल, पुरूषोतम और रामस्वरूप बताते हैं कि हादसे को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती हैं. हादसे के बाद उनके खेतों की जमीन बंजर हो गई और करीब दस किलोमीटर के दायरे में दोनों विमानों के अवशेष और लाशें बिखर गई थी. किसानों ने कड़ी मेहनत करके बंजर जमीन को खेती लायक बनाया.
नहीं बना स्मारक और अस्पताल
तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और मुख्यमंत्री बंसीलाल ने चरखी दादरी में स्मारक और अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. हालांकि सऊदी अरब की एक संस्था ने चरखी दादरी में कुछ साल तक अस्थाई अस्पताल भी चलाया था लेकिन उसे भी बाद में बंद कर दिया गया. मृतकों की याद में चरखी दादरी में न तो कोई स्मारक बना है और न ही अस्पताल.