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Published : Dec 4, 2020, 5:06 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 6:30 PM IST

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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर तैनात किए जाएंगे 25 हजार सैनिक

बलूच विद्रोहियों और आतंकी संगठनों के मद्देनजर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को सुरक्षित रखने के लिए पाक और चीन दोनों ने 25 हजार सैनिकों की तैनाती करने का फैसला किया है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा के लिए चीन और पाकिस्तान व्यापक स्तर पर सहयोग कर रहे हैं. इसके तहत दोनों देश करीबन 25,000 सैनिकों को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर तैनात करेंगे. सुरक्षाबलों के साथ तोपखाने भी तैनात किए जाएंगे, ताकि पाक अधिकृत कश्मीर के विवादित क्षेत्र के माध्यम से भारतीय सीमा के पास बनी बुनियादी ढांचा परियोजना को सुरक्षित किया जा सके.

बता दें कि आंशिक रूप से परिचालन वाली सीपीईसी 70 अरब डॉलर की रेलवे और राजमार्ग परियोजना है, जो पश्चिमी चीन में काशगर को अरब सागर के तट पर ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगी. यह चीन को हिंद महासागर तक आसान पहुंच प्रदान करेगी.

इस मुद्दे के जानकार कई भारतीय सैन्य स्रोतों के अनुसार, दो डिवीजनों- 34 और 44 लाइट इन्फैंट्री डिवीजनों को विशेष सेवा प्रभाग, नॉर्थ (SSDN) कहा जाता है और विशेष सेवा प्रभाग दक्षिण (SSDS) को सीपीईसी पर तैनात किया जाएगा. इन दोनों डिवीजनों में तीन ब्रिगेड होंगे, कुल मिलाकर छह ब्रिगेड होंगे. इनमें पाकिस्तान सेना के कमांडो, पंजाब और सिंध के रेंजर्स और फ्रंटियर कोर अर्धसैनिक बल शामिल होंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि दोनों डिवीजन पर लगभग 25 हजार सुरक्षाबल तैनात किए जाएंगे. उन्होंने दो फील्ड आर्टिलरी रेजिमेंटों और एक मध्यम रेजिमेंट पर सवाल उठाया, जो प्रत्येक डिवीजन के साथ एकीकृत हैं.

अधिकारी ने बताया कि CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा करने वाले विशेष सेवा प्रभाग (SSD) को तोपखाने की आवश्यकता क्यों है? स्टैंडर्ड ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) के अनुसार पारंपरिक ऑपरेशन के यह काफी अधिक है और इसे निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अगर बलूची विद्रोहियों को ध्यान में रख कर यह तैनाती की गई तो भी इसमें जरूरत से ज्यादा लंबी दूरी की मारक क्षमता है.

उन्होंने आगे बताया कि सकता है कि सैनिकों की तैनाती के समय भारत को ध्यान में रखा गया हो. चूंकि लाइट इन्फैंट्री बटालियन और तोपखाने पहाड़ों पर युद्ध के लिए आदर्श माने जाते हैं और यह भारत के साथ संघर्ष होने पर एक प्रभावी गठन होगा.

अधिकारी ने बताया कि, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि चीन भविष्य में पाकिस्तान के साथ संयुक्त संचालन के लिए इन संरचनाओं का परीक्षण करने की कोशिश कर रहा है.'

SSD पर नजर रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चीन SSD को फंड दे रहा है. वहीं CPEC की रखवाली के बहाने, पाकिस्तान चीन से ड्रोन, पनडुब्बी, हमलावर हेलीकॉप्टर भी खरीद रहा है.

उन्होंने कहा कि कम लागत वाले ड्रोन के अलावा, पाकिस्तान को चीन-निर्मित पनडुब्बियों 039 A युआन 2022 में मिलने की उम्मीद है.

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चीन-पाकिस्तान सहयोग से पाकिस्तान की नौसेना के लिए आठ पनडुब्बियों का उत्पादन होगा. भारत के अपाचे हेलीकॉप्टर के हमले को टक्कर देने के लिए पाकिस्तान चीनी Z-10 हेलीकॉप्टर का अधिग्रहण कर रहा है.

इसके अलावा, भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में CPEC की निर्माण परियोजनाओं के लिए गए चीनी ठेकेदार भी चीनी सैन्य और अर्धसैनिक संबद्ध अधिकारी हैं, जो अपनी योजना और दृष्टिकोण के अनुसार SSD के गठन को नेविगेट कर सकते हैं.

Last Updated : Dec 4, 2020, 6:30 PM IST

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