नई दिल्ली : चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा के लिए चीन और पाकिस्तान व्यापक स्तर पर सहयोग कर रहे हैं. इसके तहत दोनों देश करीबन 25,000 सैनिकों को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर तैनात करेंगे. सुरक्षाबलों के साथ तोपखाने भी तैनात किए जाएंगे, ताकि पाक अधिकृत कश्मीर के विवादित क्षेत्र के माध्यम से भारतीय सीमा के पास बनी बुनियादी ढांचा परियोजना को सुरक्षित किया जा सके.
बता दें कि आंशिक रूप से परिचालन वाली सीपीईसी 70 अरब डॉलर की रेलवे और राजमार्ग परियोजना है, जो पश्चिमी चीन में काशगर को अरब सागर के तट पर ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगी. यह चीन को हिंद महासागर तक आसान पहुंच प्रदान करेगी.
इस मुद्दे के जानकार कई भारतीय सैन्य स्रोतों के अनुसार, दो डिवीजनों- 34 और 44 लाइट इन्फैंट्री डिवीजनों को विशेष सेवा प्रभाग, नॉर्थ (SSDN) कहा जाता है और विशेष सेवा प्रभाग दक्षिण (SSDS) को सीपीईसी पर तैनात किया जाएगा. इन दोनों डिवीजनों में तीन ब्रिगेड होंगे, कुल मिलाकर छह ब्रिगेड होंगे. इनमें पाकिस्तान सेना के कमांडो, पंजाब और सिंध के रेंजर्स और फ्रंटियर कोर अर्धसैनिक बल शामिल होंगे.
ईटीवी भारत से बात करते हुए नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि दोनों डिवीजन पर लगभग 25 हजार सुरक्षाबल तैनात किए जाएंगे. उन्होंने दो फील्ड आर्टिलरी रेजिमेंटों और एक मध्यम रेजिमेंट पर सवाल उठाया, जो प्रत्येक डिवीजन के साथ एकीकृत हैं.
अधिकारी ने बताया कि CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा करने वाले विशेष सेवा प्रभाग (SSD) को तोपखाने की आवश्यकता क्यों है? स्टैंडर्ड ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) के अनुसार पारंपरिक ऑपरेशन के यह काफी अधिक है और इसे निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अगर बलूची विद्रोहियों को ध्यान में रख कर यह तैनाती की गई तो भी इसमें जरूरत से ज्यादा लंबी दूरी की मारक क्षमता है.
उन्होंने आगे बताया कि सकता है कि सैनिकों की तैनाती के समय भारत को ध्यान में रखा गया हो. चूंकि लाइट इन्फैंट्री बटालियन और तोपखाने पहाड़ों पर युद्ध के लिए आदर्श माने जाते हैं और यह भारत के साथ संघर्ष होने पर एक प्रभावी गठन होगा.