पटना : कोरोना वायरस ने न सिर्फ आम आदमी को प्रभावित किया, बल्कि विधायिका भी प्रभावित हुई है. बिहार में पंचायत चुनाव में हो रही देरी इसका उदाहरण है. खाली सीटों पर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. विधानपरिषद में 24 सीटें खाली हो चुकी हैं. शुक्रवार को 19 विधान पार्षदों के कार्यकाल खत्म हो रहे हैं.
इन सीटों पर चुनाव पंचायत चुनाव के बाद ही कराए जा सकते हैं, क्योंकि उनके ही सदस्य इन पार्षदों का चयन करेंगे. पांच सीट पहले से खाली हैं. दरअसल, तीन सदस्य विधानसभा जा चुके हैं और दो सदस्यों का निधन हो चुका है.
रीतलाल यादव, मनोज यादव और दिलीप राय विधानसभा के सदस्य बन चुके हैं. हरि नारायण चौधरी और सुनील कुमार सिंह का निधन हो चुका है.
26 जुलाई से बिहार में मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है. बदली हुई परिस्थिति में विधान परिषद में सत्ताधारी जनता दल यू का वर्चस्व रहेगा. सबसे अधिक सीट जनता दल यू के पास होगी. भाजपा के मात्र 15 सदस्य विधान परिषद में बचेंगे.
इन विधान पार्षदों के रिटायर होने से पहले विधान परिषद में जनता दल यू के पास 28 और भाजपा के 26 पार्षद थे. विधान परिषद में कुल 75 सीट हैं. यानी पहले जहां दोनों पार्टियों के बीच मात्र दो सीटों का अंतर था, अब यह अंतर बढ़कर सात सीटों का हो जाएगा.
विधान परिषद में राजद के पांच, कांग्रेस के तीन, सीपीआई के एक, हम के एक, वीआईपी के एक और एक निर्दलीय सदस्य हैं.