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Parakram Diwas हिमाचल के इन जांबाजों के नाम पर रखे गए अंडमान-निकोबार के द्वीपों के नाम

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीप अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे. इन द्वीपों का नामकरण पीएम मोदी ने सोमवार को पराक्रम दिवस के मौके पर किया. इन 21 में से चार हिमाचल के परमवीर चक्र विजेता हैं. (Param Vir Chakra awardees from Himachal) (Param Vir Chakra) (Parakram Diwas 2023) (Andaman and Nicobar islands)

Param Vir Chakra awardees from Himachal
हिमाचल के इन जांबाजों के नाम पर रखे गए अंडमान-निकोबार के द्वीपों के नाम

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Published : Jan 23, 2023, 8:49 PM IST

शिमला: पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पराक्रम दिवस के मौके पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नाम देश के परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा गया. परमवीर चक्र देश का सर्वोच्च सैनिक सम्मान है, जो युद्ध के दौरान अदम्य साहस और पराक्रम दिखाने वाले जाबाजों को दिया जाता है. अब तक कुल 21 रणबांकुरों को परमवीर चक्र सम्मान से नवाजा जा चुका है और पीएम मोदी ने इन्हीं 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण किया है. ताकि इन वीरों की जांबाजी और बलिदान को हमेशा याद रखा जाए. इन 21 परमवीर चक्र विजेताओं में से 4 जांबाजों का हिमाचल से संबंध है. जिन्होंने अपने शौर्य से वो मुकाम हासिल किया, जहां वो परमवीर कहलाते हैं.

मेजर सोमनाथ शर्मा-परमवीर चक्र भारत सरकार द्वारा वीरता के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सैनिक सम्मान है और मेजर सोमनाथ शर्मा ये सम्मान पाने वाली देश की पहली शख्सियत है. मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को तत्कालीन पंजाब और मौजूदा हिमाचल के कांगड़ा जिले में हुआ था. 1947 में आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया था. जहां मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया.

देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा

उस दौरान मेजर सोमनाथ शर्मा ने कहा कि मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा जब तक हमारे पास आखिरी गोली और आखिरी फौजी है, हम आखिरी गोली और आखिरी सांस तक लड़ेंगे. दुश्मनों की फायरिंग के बीच वो खुद भी लड़ते रहे और अपने सैनिकों में भी लड़ने का जोश भरते रहे. 3 नवंबर 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा शहीद हुए और 3 साल बाद साल 1950 में उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आस-पास मौजूद 21 द्वीपों में से सबसे बड़े आइलैंड का नाम सोमनाथ आइलैंड रखा गया है.

मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम से जाना जाएगा सोमनाथ द्वीप

करगिल का 'शेरशाह' विक्रम बत्रा- करगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम कौन नहीं जानता. महज 24 साल की उम्र में शहीद होने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा हिमाचल के पालमपुर के रहने वाले थे. 13 JAK RIF में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए विक्रम बत्रा को जंग के मैदान में ही कैप्टन प्रमोट किया गया क्योंकि उन्होंने करगिल में 5140 चोटी से विक्रम बत्रा ने पाकिस्तानियों का सफाया कर उसपर तिरंगा लहराया था.

परमवीर कैप्टन विक्रम बत्रा

करगिल में ही एक अन्य मिशन के दौरान अपने साथी को बचाने के लिए उन्होंने खुद की जान दांव पर लगाई और सर्वोच्च बलिदान दिया था. उनका कोडनेम शेरशाह था, इसी नाम से उनकी जिंदगी पर बॉलीवुड की फिल्म भी बन चुकी है. दुश्मनो को खदेड़ने के बाद उनका ये दिल मांगे मोर कहना कई युवाओं के दिल में जोश भरने वाला था. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक आइलैंड का नाम अब बत्रा आइलैंड रख दिया गया है.

कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम से जाना जाएगा विक्रम बत्रा द्वीप

मेजर धन सिंह थापा- मेजर धन सिंह थापा का जन्म 10 अप्रैल 1928 को शिमला में हुआ था. 8 गोरखा रेजिमेंट के धन सिंह थापा को 1962 में भारत-चीन युद्ध के लिए याद किया जाता है. उन्होंने 19 और 20 अक्टूबर 1962 को मुट्ठी भर सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों के दो आक्रमण विफल कर दिए थे और आमने-सामने की जंग में कई चीनी सैनिकों को मार गिराया था.

परमवीर चक्र विजेता मेजर धन सिंह थापा

जिसके बाद मेजर धन सिंह थापा को चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया था, जहां उन्हें कई यातनाएं दी गई. जंग खत्म होने के बाद चीन ने उन्हें छोड़ दिया और फिर भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा था. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक आइलैंड का नाम धन सिंह आइलैंड रखा गया है.

लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा के नाम से जाना जाएगा धन सिंह द्वीप

राइफलमैन संजय कुमार- हिमाचल के बिलासपुर में जन्मे संजय कुमार ने 1999 की करगिल जंग में अपने शौर्य का परिचय कराया था. वो 13 JAK RIF से थे, 4 जुलाई 1999 को जम्मू कश्मीर के मुशकोह में उन्हें एक ऊंची खड़ी चढ़ाई से होते हुए दुश्मनों तक पहुंचना था. करगिल की जंग में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जहां से भारतीय सैनिक उनके निशाने पर थे. इसलिये करगिल की जंग को दुनिया की सबसे मुश्किल जंग कहा जाता है.

परमवीर चक्र विजेता संजय कुमार

खड़ी चढ़ाई पर चढ़ते वक्त वो दुश्मन की फायरिंग की चपेट में आ गए. लेकिन उन्होंने पहले तो तीन घुसपैठियों को मार गिराया और फिर मशीन गन छोड़कर भाग रहे दुश्मनों को उन्हीं की मशीनगन से ढेर कर दिया. इस अदम्य साहस और शौर्य के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था. अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक आइलैंड का नाम संजय आइलैंड रखा गया है.

सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम से जाना जाएगा संजय द्वीप

अन्य 17 जाबांजों में सूबेदार और ऑनरेरी कैप्टन करम सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जीएस सलारिया, नायक जदुनाथ सिंह, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेंकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव का नाम शामिल है.

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