नई दिल्ली :2020 में कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों की संख्या में 2019 की तुलना में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वहीं पाकिस्तान की तरफ से होने वाले संघर्ष विराम उल्लंघन में भी 2019 की तुलना में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
पहाड़ियों में 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक सर्दियां चरम पर रहती हैं. इस समयावधि (40 दिन) को चिल्लाई कलां कहा जाता है. यह संयोग ही है कि 2020 में जम्मू-कश्मीर के लिए '40' के मायने अलग ही हैं.
ईटीवी भारत को सुरक्षा एजेंसियों से मिले आकड़ों मुताबिक मारे गए आतंकियों की संख्या में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आतंकियों की भर्ती का आकड़ा भी इसी के करीब है, 40 प्रतिशत.
सोमवार तक पाकिस्तान द्वारा बिना उकसावे के किए गए संघर्ष विराम के उल्लंघन की संख्या 4,700 थी, जो 2019 की तुलना में 48 प्रतिशत ज्यादा है. संघर्ष विराम का उल्लंघन दर्शाता है कि पाकिस्तान ने घुस्पैठियों को सीमा पार कराने की पूरी कोशिश की. इनका उद्देश्य स्थानीय लोगों को भड़काना था, जो अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से पहले से ही नाराज थे.
यह बात किसी से नहीं छुपी है कि पाकिस्तानी सेना संघर्ष विराम का उल्लंघन कर घुस्पैठियों को सीमा पार करने के लिए कवर देती है.
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान की गतिविधियों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. हालांकि, अब भी बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आतंक का रास्ता चुन रहे हैं.
सोमवार तक सुरक्षाबलों ने कुल 215 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस वर्ष का औसत देखा जाए तो यह हर सप्ताह पांच आतंकियों के मारे जाने के बराबर है.