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गोधरा पीड़ितों का पोस्टमार्टम कैसे बड़ी साजिश को साबित करता है : SC का जकिया जाफरी से सवाल

2002 के गोधरा दंगों के पीड़ितों के पोस्टमार्टम के मुद्दे को 'जोरदार' तरीके से उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी (zakia-jafri) से सवाल किया है. कोर्ट ने पूछा कि किस प्रकार यह गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश के आरोप को स्थापित करता है. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को जला दिया गया था जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद गुजरात में दंगे हुए थे.

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Published : Nov 17, 2021, 10:23 PM IST

Updated : Nov 17, 2021, 10:30 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा दंगों के पीड़ितों के पोस्टमार्टम के मुद्दे को 'जोरदार' तरीके से उठाने के लिए बुधवार को जकिया जाफरी से सवाल किया और पूछा कि किस प्रकार यह गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश के आरोप को स्थापित करता है.

जकिया जाफरी के पति कांग्रेस नेता एहसान जाफरी दंगों के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में हिंसा के दौरान मारे गए थे. जकिया जाफरी ने दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती दी है. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को जला दिया गया था जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद गुजरात में दंगे हुए थे.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जकिया जाफरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि वह इस मुद्दे पर 'विशेष ध्यान केंद्रित' कर रहे हैं कि पोस्टमार्टम किस प्रकार किया गया था, लेकिन इसका एक बड़ी साजिश के आरोप के साथ क्या संदर्भ है. इससे पहले, सिब्बल ने दंगों के दौरान बड़ी साजिश होने का आरोप लगाया था.

पीठ ने सिब्बल से पूछा, 'इससे एक बड़ी साजिश कैसे स्थापित होती है.' पीठ ने कहा, 'आप किस बड़ी साजिश के बारे में कह रहे हैं. आप हमें इसके बारे में बताएं... आप इस तथ्य पर विशेष जोर दे रहे हैं कि पोस्टमार्टम कैसे किया गया. हमने उस पर गौर किया है.'

सिब्बल ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि किसने गोधरा पीड़ित का पोस्टमार्टम एक खास तरीके से करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा, 'मैं यह कहकर एक बड़ी साजिश को साबित नहीं कर सकता. मैं केवल इतना कह सकता हूं कि उन्हें (एसआईटी) इसकी जांच करनी चाहिए थी.' उन्होंने कहा कि जांच के दौरान उस समय के कई फोन कॉल रिकॉर्ड का विश्लेषण नहीं किया गया था.

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दिन भर चली बहस पूरी नहीं हो सकी.इस पर अब अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी. इस दौरान सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता कोई 'रंग' नहीं देना चाहतीं और केवल यह मांग कर रही हैं कि कथित बड़ी साजिश के मुद्दे पर उचित जांच की जाए क्योंकि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कई पहलुओं की जांच नहीं की थी.

स्टिंग ऑपरेशन का दिया हवाला
सिब्बल ने कहा कि शवों को टीवी चैनलों पर दिखाया गया था जिससे भावनाएं पैदा हुईं और उसके परिणाम सामने आए. उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन का हवाला दिया और कहा कि एसआईटी ने उस पर गौर नहीं किया जबकि उसका इस्तेमाल 2002 दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में किया गया था जिसमें आरोपियों को अदालत ने दोषी ठहराया था.

सिब्बल ने कहा, 'उन्होंने (एसआईटी) वास्तव में उन लोगों के बयानों को स्वीकार कर लिया, अन्यथा वे उन्हें आरोपी बनाते.' उन्होंने कहा कि राज्य के संबंधित अधिकारियों द्वारा कर्फ्यू लगाने या अन्य निवारक उपाय करने के लिए समय पर कोई कार्रवाई नहीं की गई ताकि हिंसा पर काबू पाया जा सके.

एसआईटी ने दाखिल की थी क्लोजर रिपोर्ट
एसआईटी ने आठ फरवरी, 2012 को मोदी (अब प्रधानमंत्री) और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुए मामला बंद करने के लिए 'क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ 'मुकदमा चलाने योग्य कोई सबूत नहीं' था.

जकिया जाफरी ने 2018 में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

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याचिका में यह भी कहा गया है कि एसआईटी ने निचली अदालत में मामला बंद करने संबंधी क्लोजर रिपोर्ट में क्लीन चिट दिए जाने के बाद, जकिया जाफरी ने विरोध याचिका दायर की थी जिसे मजिस्ट्रेट ने 'ठोस आधारों' पर गौर किए बिना खारिज कर दिया.

हाई कोर्ट ने अपने अक्टूबर 2017 के फैसले में कहा था कि एसआईटी जांच की निगरानी उच्चतम अदालत द्वारा की गयी थी. हालांकि, उच्च न्यायालय ने जकिया जाफरी की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया जो मामले में आगे की जांच की मांग से जुड़ा हुआ था. अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता आगे के अनुरोध के साथ मजिस्ट्रेट की अदालत, उच्च न्यायालय की खंडपीठ या उच्चतम न्यायालय सहित किसी उचित मंच के पास जा सकती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 17, 2021, 10:30 PM IST

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