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संसद पर हमले के 20 साल : खौफ की यादें अभी भी ताजा - 20 साल पुराने आतंकी हमले की यादें ताजा

बीस साल पहले संसद पर हुए आतंकी हमले की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं. 2001 को हुए इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. हालांकि सुरक्षाबलों ने आंतकवादियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया था. इस हमले में कुल नौ लोगों के मारे जाने के साथ ही 18 लोग घायल हो गए थे.

IANS
संसद पर हमले के 20 साल

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Published : Dec 12, 2021, 8:52 PM IST

Updated : Dec 13, 2021, 9:21 AM IST

नई दिल्ली :बीस साल पहले, भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था संसद में एक नृशंस आतंकी हमला हुआ था, जिसने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था. 13 दिसंबर 2001 को हुए उस हमले का खौफ देश की जनता के जेहन में आज भी ताजा है.

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के पांच आतंकवादियों ने एम्बेसडर कार में गृह मंत्रालय और संसद के नकली स्टिकर लगाकर संसद परिसर में घुसपैठ की. यह कहना गलत नहीं होगा कि उस समय संसद में सुरक्षा व्यवस्था उतनी ही कड़ी थी जितनी आज है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद पर हमले की बरसी को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि मैं उन बहादुर सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 2001 में आज ही के दिन एक नृशंस आतंकवादी हमले के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए राष्ट्र सदैव उनका आभारी रहेगा.

पीएम नरेंद्र मोदी ने शहीदों को प्रेरणा बताते हुए ट्वीट किया और लिखा, मैं उन सभी सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जो 2001 में संसद हमले के दौरान कर्तव्य के दौरान शहीद हुए थे. राष्ट्र के लिए उनकी सेवा और सर्वोच्च बलिदान हर नागरिक को प्रेरित करता है.

20 साल पहले संसद पर हमले को लेकर गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया है. गृह मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए आतंकी हमले में राष्ट्र के गौरव की रक्षा हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुर सुरक्षाबलों के साहस व शौर्य को नमन करता हूं. आपका अद्वितीय पराक्रम व अमर बलिदान सदैव हमें राष्ट्रसेवा हेतु प्रेरित करता रहेगा.

वहीं, राजनाथ सिंह ने लिखा कि 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों को मेरी श्रद्धांजलि. राष्ट्र उनके साहस और कर्तव्य के प्रति सर्वोच्च बलिदान के लिए आभारी रहेगा.

एके47 राइफल, ग्रेनेड लांचर, पिस्टल और हथगोले लेकर आतंकवादियों ने संसद परिसर के चारों ओर तैनात सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया. जैसे ही वे कार को अंदर ले गए, स्टाफ सदस्यों में से एक, कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव को उनकी हरकत पर शक हुआ. कमलेश पहली सुरक्षा अधिकारी थीं जो आतंकवादियों की कार के पास पहुंचीं और कुछ संदिग्ध महसूस होने पर वह गेट नंबर 1 को सील करने के लिए अपनी पोस्ट पर वापस चली गईं, जहां वह तैनात थीं. आतंकवादियों ने अपने कवर को प्रभावी ढंग से उड़ाते हुए कमलेश पर 11 गोलियां चलाईं.

आतंकवादियों के बीच एक आत्मघाती हमलावर था, जिसकी योजना को कमलेश ने विफल कर दिया, लेकिन उनकी मौके पर ही मौत हो गई. कमलेश को मारने के बाद आतंकी अंधाधुंध फायरिंग करते हुए आगे बढ़ गए. आतंकी कार्रवाई लगभग 30 मिनट तक चली, जिसमें कुल नौ लोग मारे गए और अन्य 18 घायल हो गए. उसी बीच सुरक्षा बलों ने सभी पांचों आतंकियों को बिल्डिंग के बाहर ही ढेर कर दिया.

राष्ट्रीय राजधानी में आतंकवाद, संगठित अपराध और अन्य गंभीर अपराधों के मामलों को रोकने, पता लगाने और जांच करने के लिए 1986 में स्थापित दिल्ली पुलिस की आतंकवाद-रोधी इकाई स्पेशल सेल ने जांच का जिम्मा संभाला. 20 साल पुराने आतंकी हमले की यादों को याद करते हुए तत्कालीन पुलिस उपायुक्त अशोक चंद ने बताया कि जब नरसंहार हुआ, उस समय वह स्पेशल सेल के कार्यालय में थे.

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उन्होंने कहा, 'जैसे ही हमें सूचना मिली, मैं अपनी टीम के साथ संसद पहुंचा.' उन्होंने कहा कि जब वह मौके पर पहुंचे, उस समय भी हमला जारी था. उन्होंने कहा, 'स्थिति सामान्य नहीं हुई थी, उस समय तक स्पेशल सेल की अन्य टीमें भी वहां पहुंच गईं.' अगले कुछ ही मिनटों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों ने सभी आतंकियों को ढेर कर दिया.

गौरतलब है कि हमले के समय संसद में तैनात सीआरपीएफ की बटालियन जम्मू-कश्मीर से हाल ही में लौटी थी. घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा कि वे ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार थे और जानते थे कि कैसे प्रतिक्रिया देनी है. हालांकि सुरक्षा बलों ने अत्यधिक बहादुरी दिखते हुए स्थिति को जल्द नियंत्रित कर लिया. संसद के वॉच एंड वार्ड स्टाफ ने भी कई लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

एक अधिकारी ने कहा, 'हमला शुरू होने के तुरंत बाद वॉच एंड वार्ड के कर्मचारियों ने संसद भवन के सभी दरवाजे बंद कर दिए. इस तरह आतंकवादियों को अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया.' अप्रैल 2009 में वॉच एंड वार्ड का नाम बदलकर पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस कर दिया गया.

चंद ने कहा कि हमले के तुरंत बाद जांच शुरू कर दी गई. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने महज 72 घंटों में इस मामले का पदार्फाश किया और इस सिलसिले में चार लोगों- मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफजल गुरु और एसएआर गिलानी को गिरफ्तार किया. उनमें से दो को बाद में बरी कर दिया गया, जबकि अफजल गुरु को फरवरी 2013 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई. शौकत हुसैन ने जेल में अपनी सजा काटी.

हमले की 20वीं बरसी की पूर्व संध्या पर दिल्ली पुलिस ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. सिर्फ तीन महीने पहले सितंबर में स्पेशल सेल ने पाकिस्तान स्थित एक प्रमुख आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया और आठ लोगों को गिरफ्तार किया था. ये लोग त्योहारों के मौसम में देश में आतंकी हमले करने की साजिश रच रहे थे.

(आईएएनएस)

Last Updated : Dec 13, 2021, 9:21 AM IST

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