नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कहा है कि 20 से अधिक गैर-अधिसूचित समुद्री आव्रजन जांच चौकियां पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और उसके तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन कर काम कर रही हैं (marine immigration check posts).
गृह मंत्रालय ने एक संसदीय समिति को बताया है कि ऐसे स्थानों में, स्थानीय पुलिस जहाज के चालक दल को उनकी सीमित ऑफ़लाइन जानकारी के साथ साइन ऑन/एम्बर्केशन या साइन ऑफ/डिसबार्किंग द्वारा समायोजित करने का प्रयास करती है और वस्तुतः कोई भौतिक बुनियादी ढांचा नहीं है.
यह खुलासा गृह मंत्रालय की 242वीं अनुदान मांगों की रिपोर्ट में किया गया, जिसे 17 मार्च को राज्यसभा में पेश किया गया था. इस रहस्योद्घाटन का महत्व इस तथ्य के बाद है कि समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से दवाओं की तस्करी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है. सबसे विशेष रूप से, 2021 में गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह के माध्यम से लगभग 2988 किलोग्राम हेरोइन भारत में लाई गई थी.
आवश्यक तकनीकी और भौतिक बुनियादी ढांचा नहीं :गृह मंत्रालय ने कहा कि 'यह एक संभावित सुरक्षा खतरा है. इससे यात्रियों/चालक दल की अप्रवासन निकासी हो सकती है, जो एक सुरक्षा जोखिम हैं. कानूनी रूप से कहा जाए तो इन बंदरगाहों पर अप्रवासन कार्य नहीं किए जा सकते हैं क्योंकि न तो उन्हें आईसीपी के रूप में अधिसूचित किया गया है और न ही उनके पास एक सुरक्षित आव्रजन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीकी और भौतिक बुनियादी ढांचा है.'
गृह मंत्रालय ने कहा कि 'वे ऑफ़लाइन हैं और केंद्रीकृत अप्रवासन प्रणाली से नहीं जुड़े हैं जो दिल्ली में स्थित बैकएंड डेटा सेंटर द्वारा सेवा प्रदान की जाती है.' इसलिए समिति को सूचित किया गया था, मंत्रालय ने स्वीकार किया कि ऐसे अनधिकृत अप्रवास बिंदुओं के माध्यम से अवांछित तत्वों के भारत में घुसने या भारत से भागने की संभावना है. गृह मंत्रालय इस मामले को राज्य सरकार के अधिकारियों और स्थानीय बंदरगाह प्राधिकरणों के साथ उठा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बंदरगाहों पर आप्रवासन न केवल व्यापार के अनुकूल हो बल्कि देश के लिए भी सुरक्षित और सुरक्षित हो.