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दुर्लभ बीमारी से ग्रसित तनिष्क को मदद की जरूरत, इलाज के लिए करीब 32 लाख की आएगी दवा

दुर्लभ बीमारी 'स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी' से पीड़ित 2 साल के तनिष्क के इलाज के लिए करीब 32 लाख रुपए की दवा दी जाएगी. जयपुर के जेके लोन अस्पताल में इलाज ले रहे तनिष्क के पिता का कहना है कि ये दवा अब तक नहीं दी गई है. इससे पहले उसे 16 करोड़ रुपए के एक इंजेक्शन की सलाह दी गई (Zolgensma for Treatment of Spinal Muscular Atrophy) थी, यह पैसा जुटाना उसके लिए असंभव था.

Tanishq suffering from Spinal Muscular Atrophy treatment of spinal muscular atrophy
दुर्लभ बीमारी से ग्रसित तनिष्क को मदद की जरूरत.

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Published : Nov 19, 2022, 8:05 PM IST

जयपुर. 2 साल का तनिष्क जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. तनिष्क एक दुर्लभ बीमारी 'स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी' से पीड़ित (Tanishq suffering from Spinal Muscular Atrophy) है. शुरुआत में इस बीमारी के इलाज के लिए तकरीबन 16 करोड़ के इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन अब तनिष्क 2 साल का हो चुका है, तो ऐसे में एक ओरल दवा से तनिष्क का इलाज हो सकता है. लेकिन अभी भी तनिष्क के पिता अपने बच्चे के इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. कई बार तनिष्का को जेके लोन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया.

तनिष्क के पिता अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं. मगर तनिष्क के पिता का कहना है कि सरकार बच्चे की सुध नहीं ले रही. तनिष्क स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है और उसे रिस्डिप्लाम दवा की जरूरत है. इसकी कीमत लगभग 72 लाख रुपए है. लेकिन यह दवा वजन के हिसाब से दी जाती है. तनिष्क का वजन 7 किलो के करीब है. इसलिए दवा का खर्च 30-32 लाख रुपए बताया गया (cost of treatment of spinal muscular atrophy) है. ऐसे में बच्चे की जिंदगी बचाने का केवल यही एक विकल्प है.

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तनिष्क को 2 साल के भीतर 16 करोड़ रुपए के Zolgensma injection लगना था, लेकिन तनिष्क के पिता के लिए 16 करोड़ जुटाना असंभव था. तनिष्क के पिता ने दावा किया है कि उनके पास 15 ऐसे बच्चो की लिस्ट है जिन्हें ये दवा दी जा रही है. तनिष्क का सबसे ऊपर नाम है, लेकिन उसे ये दवा नहीं दी जा रही है. तनिष्क दिनों दिन सिकुड़ता और कमजोर होता जा रहा है. तनिष्क के पिता स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा से गुहार लगा चुके हैं. उनका कहना है कि उनके पास सीएम ऑफिस से कॉल आया था और जेके लोन के डॉक्टरों की ओर से बताया गया था कि बच्चे को 30 लाख रुपए की ओरल दवा दी जाएगी. हालांकि इस दवा का अभी भी इंतजार है. तनिष्क 2 साल 4 महीने का हो चुका है, लेकिन उसका वजन 7 किलो 700 ग्राम है.

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सरकार ने बनाया क्राउडफंडिंग पोर्टल: जयपुर के जेके लोन अस्पताल में दुर्लभ बीमारियों की खोज और इलाज को लेकर रिसर्च किया जा रहा है. प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों का इलाज अभी काफी महंगा है और सामान्य मरीज इसके इलाज में आने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकता. ऐसे में एकमात्र उपाय क्राउडफंडिंग से एकत्रित किया गया पैसा होता है. दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए राज्य सरकार ने क्राउडफंडिंग पोर्टल बनाया है.

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इसके माध्यम से दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को आर्थिक सहायता उपलब्ध हो सकेगी. पॉम्पे डिजीज, स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1, टर्नर सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो दुर्लभ मानी गई हैं. दुर्लभ बीमारियों को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पिछले 8 साल से एक सेंटर चलाया जा रहा है, जहां लगभग 1300 से अधिक बच्चे दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं.

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