हैदराबाद: प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना आजकल आम बात है. हर इंसान आज के समय में बोतलबंद पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करता है. पहले के समय में लोग जब घर से बाहर या लंबे सफर पर जाते थे, कभी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज के वक्त में तो शहरों में रहने वाले ज्यादातर लोग बोतल वाले पानी पर ही आश्रित हैं. घर हो चाहे दफ्तर, बड़े-बड़े कॉरपोरेट ऑफिसों में भी बोतलबंद पानी का ही उपयोग किया जाता है. पर इन सबसे परे क्या आप पता है कि ये कितना खतरनाक और जानलेवा है, सबसे बड़ी और खास बात ये कि एक लीटर प्लास्टिक की बोतलबंद पानी में इतनी ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक के कण होते है कि आप सोच भी नहीं सकते. तो चलिए आपको बताते हैं कि प्लास्टिक की बोतलबंद पानी पर हुए नए शोध में क्या बातें सामने निकल कर आई हैं.
माइक्रोप्लास्टिक की समस्या उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी
एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि दुनिया को परेशान करने वाली माइक्रोप्लास्टिक की समस्या उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी है. बताया गया है कि एक लीटर पानी की बोतल में औसतन 2.4 लाख प्लास्टिक कण होते हैं. गौरतलब है कि यह पिछले अनुमान से 10 से 100 गुना ज्यादा है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंटल केमिस्ट नैक्सिन कियान और उनकी टीम ने यह शोध किया है. उनके रिसर्च के हिसाब से मार्केट में बिकने वाले एक लीटर पानी की बोतल में से कुछ पानी की बोतलों में 370,000 माइक्रो प्लास्टिक के कण पाए गए है. जबकि, लगभग संख्या की बात करें तो ये 240,000 नैनोप्लास्टिक पार्टिकल्स है. ये कण पहले हुए स्टडी के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.
वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन सालाना 400 मिलियन मीट्रिक टन
बता दें, वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन सालाना 400 मिलियन मीट्रिक टन के करीब पहुंच रहा है. हर साल 30 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक जमीन या पानी में फेंक दिया जाता है. ये प्लास्टिक सामग्रियां समय के साथ टूटने पर छोटे-छोटे कण छोड़ती हैं. सिंथेटिक कपड़ों सहित प्लास्टिक से बनी कई सामग्रियां उपयोग के दौरान कण उत्सर्जित करती हैं. माइक्रोप्लास्टिक का व्यास एक माइक्रोमीटर से लेकर 5 मिलीमीटर तक होता है. एक माइक्रोमीटर से छोटे प्लास्टिक कणों को नैनो प्लास्टिक कहा जाता है.