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प्लास्टिक की बोतल से पानी नहीं, जहर पी रहे हैं आप, जानिए इसके पीछे की सच्चाई - dangerous plastic

plastic particles are dangerous : घर हो चाहे दफ्तर, बड़े-बड़े कॉरपोरेट ऑफिसों में भी बोतलबंद पानी का ही प्रयोग किया जाता है. पर इन सबसे परे क्या आपको पता है कि ये कितना खतरनाक और जानलेवा है. अगर नहीं पता तो पढ़ें पूरी खबर...

प्लास्टिक की बोतल
प्लास्टिक की बोतल

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2024, 6:12 PM IST

हैदराबाद: प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना आजकल आम बात है. हर इंसान आज के समय में बोतलबंद पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करता है. पहले के समय में लोग जब घर से बाहर या लंबे सफर पर जाते थे, कभी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज के वक्त में तो शहरों में रहने वाले ज्यादातर लोग बोतल वाले पानी पर ही आश्रित हैं. घर हो चाहे दफ्तर, बड़े-बड़े कॉरपोरेट ऑफिसों में भी बोतलबंद पानी का ही उपयोग किया जाता है. पर इन सबसे परे क्या आप पता है कि ये कितना खतरनाक और जानलेवा है, सबसे बड़ी और खास बात ये कि एक लीटर प्लास्टिक की बोतलबंद पानी में इतनी ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक के कण होते है कि आप सोच भी नहीं सकते. तो चलिए आपको बताते हैं कि प्लास्टिक की बोतलबंद पानी पर हुए नए शोध में क्या बातें सामने निकल कर आई हैं.

एक लीटर पानी की बोतल में 2.4 लाख प्लास्टिक के कण

माइक्रोप्लास्टिक की समस्या उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी
एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि दुनिया को परेशान करने वाली माइक्रोप्लास्टिक की समस्या उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी है. बताया गया है कि एक लीटर पानी की बोतल में औसतन 2.4 लाख प्लास्टिक कण होते हैं. गौरतलब है कि यह पिछले अनुमान से 10 से 100 गुना ज्यादा है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंटल केमिस्ट नैक्सिन कियान और उनकी टीम ने यह शोध किया है. उनके रिसर्च के हिसाब से मार्केट में बिकने वाले एक लीटर पानी की बोतल में से कुछ पानी की बोतलों में 370,000 माइक्रो प्लास्टिक के कण पाए गए है. जबकि, लगभग संख्या की बात करें तो ये 240,000 नैनोप्लास्टिक पार्टिकल्स है. ये कण पहले हुए स्टडी के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.

वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन सालाना 400 मिलियन मीट्रिक टन
बता दें, वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन सालाना 400 मिलियन मीट्रिक टन के करीब पहुंच रहा है. हर साल 30 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक जमीन या पानी में फेंक दिया जाता है. ये प्लास्टिक सामग्रियां समय के साथ टूटने पर छोटे-छोटे कण छोड़ती हैं. सिंथेटिक कपड़ों सहित प्लास्टिक से बनी कई सामग्रियां उपयोग के दौरान कण उत्सर्जित करती हैं. माइक्रोप्लास्टिक का व्यास एक माइक्रोमीटर से लेकर 5 मिलीमीटर तक होता है. एक माइक्रोमीटर से छोटे प्लास्टिक कणों को नैनो प्लास्टिक कहा जाता है.

इंसानी शरीर में जहर की तरह फैलने लगेगा
एक्सपर्ट के मुताबिक, नैनोप्लास्टिक का नुकसान हमें तुरंत दिखाई नहीं देता. लेकिन अगर आप बहुत लंबे समय से प्लास्टिक वाला पानी पी रहे हैं तो यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. सबसे ज्यादा नैनोप्लास्टिक हमारे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है. इसके इतर नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर में जहर की तरह फैलने लगता है और ये जहर बदलते समय के साथ जानलेवा बन जाता है.

इस तरह इंसानों के लिए बन रहा खतरनाक
हाल ही में मिट्टी, पीने के पानी, भोजन और अंततः ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ में भी माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की खबरें आई हैं. ये धीरे-धीरे इंसानों और अन्य जीव-जंतुओं के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं. काफी छोटे होने के कारण यह कण बड़ी आसानी से इंसानों की आंतों और फेफड़ों के माध्यम से सीधे रक्तप्रवाह में प्रवेश कर रहे है. इससे इंसानों के हृदय और मस्तिष्क को काफी नुकसान पहुंच सकता है. ये गर्भवती महिला के जरिए शिशुओं में भी प्रवेश कर रहे हैं. दुनिया भर के वैज्ञानिक इनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानने की भरपूर कोशिश कर रहे है.

एक लीटर पानी की बोतल में 2.4 लाख प्लास्टिक के कण

इनके द्वारा भी हो रहा नुकसान
नैनोप्लास्टिक कण बोतलबंद पानी के अलावा समुद्र से आने वाले नमक, मछली और प्लास्टिक की बोतलों में बिकने वाली शराब, चीनी और प्लास्टिक डिब्बों में बिकने वाले शहद के साथ इंसान के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं. अगर ग्लोबल लेवल पर इसे देखें तो हर वर्ष 11,845 से 1,93,200 माइक्रोप्लास्टिक कण इंसान निगल जाता है. लेकिन अपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन कणों का सबसे बड़ा स्रोत बोतलबंद पानी है.

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