नई दिल्ली:अप्रैल के पहले ही दिन ग्राहकों को महंगाई का तगड़ा झटका लगा है. आज एलपीजी सिलेंडर (LPG cylinder) की कीमत में 250 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. यह बढ़ोतरी 19 किलो के कमर्शियल सिलेंडर (commercial cylinder) में की गई है. इस बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में अब 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर 2253 रुपये का हो गया है. हालांकि, घरेलू रसोई गैस (domestic LPG) की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसमें 10 दिन पहले 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी. कमर्शियल सिलेंडर महंगा होने से अब बाहर खाना महंगा होने की उम्मीद जताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक, अभी 10 दिन पहले ही घरेलू एलपीजी सिलेंडर के रेट बढ़े थे, जबकि 22 मार्च को ही कॉमर्शियल सिलेंडर सस्ता हुआ था.
बता दें काफी समय बाद पेट्रोल-डीजल और एलपीजी उपभोक्ताओं को महंगाई का झटका लगना 22 मार्च से शुरू हुआ था. बिना सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर में 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी. नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन भी घरेलू एलपीजी सिलेंडर दिल्ली में 949.50 रुपये, कोलकाता में 976 रुपये, मुंबई में 949.50 रुपये और चेन्नई में 965.50 रुपये में रीफिल हो रहा है. 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर 1 मार्च को दिल्ली में 2012 रुपये में रीफिल हो रहा था, 22 मार्च को घटकर 2003 रुपये पर आ गया। लेकिन आज से दिल्ली में कमर्शियल सिलेंडर को रीफिल करवाने के लिए 2253 रुपये खर्च करने पड़ेंगे. जानकारी के मुताबिक कोलकाता में अब 2087 रुपये के बजाय 2351 रुपये और मुंबई में 1955 की जगह आज से 2205 रुपये खर्च करने पड़ेंगे. चेन्नई में अब 2138 रुपये के बजाय 2406 रुपये लगेंगे.
बता दें कि, सरकार ने वैश्विक स्तर पर ईंधन के दाम में आई तेजी के बीच प्राकृतिक गैस का दाम एक अप्रैल से बढ़ाकर दोगुना से अधिक कर दिया है. इस गैस का उपयोग उर्वरक संयंत्रों, सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में पहुंचने वाली रसोई गैस (पीएनजी) बनाने में किया जाता है.
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) की बृहस्पतिवार को जारी अधिसूचना के अनुसार नियमित फील्डों से उत्पादित गैस की कीमत रिकॉर्ड 6.10 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (यूनिट) की गयी है. जबकि अभी यह दर 2.90 डॉलर प्रति यूनिट है. इन क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी (ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) का बसईं फील्ड शामिल है जो देश के सबसे बड़ा गैस क्षेत्र है.
नई कीमत एक अप्रैल से छह महीने की अवधि के लिये है. इस वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ सकते हैं. पिछले 10 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में नौ बार वृद्धि की गयी है. वहीं एलपीजी की दरें भी 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ायी गयी हैं. गैस के दाम में ताजा वृद्धि से ईंधन की महंगाई दर बढ़ेगी. अधिसूचना के अनुसार, नये और कठिन क्षेत्रों में स्थित फील्डों से उत्पादित गैस के दाम अप्रैल-सितंबर अवधि के लिये 9.92 डॉलर प्रति यूनिट होगा. जबकि अभी यह 6.13 डॉलर प्रति यूनिट है. ऐसे फील्ड में रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. का गहरे जल क्षेत्र में स्थित केजी-डी6 ब्लॉक शामिल है. भारतीय गैस उत्पादकों को मिलने वाली यह कीमत अबतक की सबसे अधिक है.
सरकार हर छह महीने पर...एक अप्रैल और एक अक्टूबर...को दरें निर्धारित करती है. यह निर्धारण अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अधिशेष गैस वाले देशों में जारी सालाना औसत कीमतों के आधार पर होता है. उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार गैस के दाम में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और पीएनजी की दरें 10 से 15 प्रतिशत बढ़ सकती हैं. इक्रा लि. के उपाध्यक्ष और सह-प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘‘वैश्विक गैस केंद्रों पर दाम में तेजी के कारण घरेलू गैस की कीमतें बढ़ी हैं. गैस के दाम में वृद्धि से भारतीय गैस उत्पादक कंपनियों को राहत मिलेगी क्योंकि पहले की कीमत पर ज्यादातर फील्डों से गैस उत्पादन घाटे का सौदा था. शहरों में सीएनजी और पीएनजी की आपूर्ति ओएनजीसी द्वारा उत्पादित गैस से होती है.
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कीमत वृद्धि से बिजली उत्पादन की लागत भी बढ़ेगी. लेकिन गैस से बिजली उत्पादन की मात्रा बहुत अधिक नहीं होने से उपभोक्ताओं पर इसका असर नहीं होगा. इसके अलावा, उर्वरक उत्पादन की लागत भी बढ़ेगी. लेकिन सरकार उर्वरकों के लिये सब्सिडी देती है, ऐसे में दाम बढ़ने की संभावना नहीं है. यह नवंबर 2014 और मार्च 2015 के बीच ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड को पुराने क्षेत्रों के लिए भुगतान किए गए 5.05 डॉलर और अप्रैल-सितंबर 2019 में नये क्षेत्रों के लिए 9.32 डॉलर प्रति यूनिट के बाद लगातार दूसरी और अच्छी बढ़ोतरी है. नई दरें वैश्विक मानक दरों...अमेरिका के हेनरी हब, कनाडा के अल्बर्ट गैस, ब्रिटेन के एनबीपी और रूस गैस... में वृद्धि के साथ-साथ तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की दरों में वृद्धि को प्रतिबिंबित करती हैं. आपूर्ति बाधित होने के साथ-साथ मांग बढ़ने से ईंधन के दाम बढ़े हैं.