नई दिल्ली : नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Aviation Ministry) ने गुरुवार को लोकसभा को बताया कि पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में विभिन्न एयरलाइनों की ओर से कुल 18 आपातकालीन लैंडिंग की सूचना मिली है. हाल ही में 2 जुलाई को दिल्ली से जबलपुर जाने वाले एक विमान को वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था. 5,000 फीट की ऊंचाई पर चालक दल ने केबिन में धुआं उठते देखा था. यात्री आपातकालीन लैंडिंग के बाद सुरक्षित रूप से उतर गए थे. इसी तरह, कालीकट-दुबई की एक उड़ान को मस्कट की ओर मोड़ दिया गया था और 16 जुलाई को केबिन में हवा में जलने की गंध के बाद एक आपातकालीन लैंडिंग की गई थी.
विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने निर्धारित नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (सीएआर) के अनुपालन पर एयरलाइन को एयर ऑपरेटर परमिट (एओपी) जारी किया था. एयरलाइन को अपने स्वयं के रखरखाव संगठन को अनुमोदित (अप्रूव्ड) करने की आवश्यकता होती है या अपने विमान को निरंतर उड़ान योग्य स्थिति में बनाए रखने के लिए अनुमोदित रखरखाव संगठन के साथ व्यवस्थित करना होता है.
विमान के रखरखाव की जिम्मेदारी एयरलाइन की होती है. उसे यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि निर्माता के निर्देश के आधार पर तैयार किए गए रखरखाव कार्यक्रम के अनुसार विमान का रखरखाव किया जा रहा है नहीं. इसे डीजीसीए द्वारा अनुमोदित किया जाता है. उड्डयन मंत्रालय ने निचले सदन में एक जवाब में कहा कि एयरलाइन/ऑपरेटर यह सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं कि आवश्यक योग्य और अनुभवी जनशक्ति, उपकरण और रखरखाव डेटा सहित पुर्जे विमान के रखरखाव के लिए उपलब्ध हैं.