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उत्तराखंड में बर्बादी लाया मॉनसून, किसानों की टूटी कमर, पानी में डूबी 17,800 हेक्टेयर कृषि भूमि

उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से इस मॉनसून सीजन में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल मॉनसून सीजन में अबतक 17,800 हेक्टेयर कृषि भूमि पानी की भेंट चढ़ गई, जिसने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. सबसे ज्यादा नुकसान हरिद्वार जिले में हुआ है.

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Published : Jul 20, 2023, 1:08 PM IST

Updated : Jul 20, 2023, 1:26 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में हर साल मॉनसून अपने साथ तबाही की कई खौफनाक तस्वीरें छोड़कर जाता है. इस बार भी उत्तराखंड में कुछ ऐसा ही दिख रहा है. भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड का जनजीवन अस्त व्यस्त हो रखा है. एक तरफ भारी बारिश की वजह से जहां लोगों को मुश्किलों का सामना कर पड़ा रहा है, वहीं इस बारिश ने किसानों की भी कमर तोड़ कर रखी है. एक अनुमान के मुताबिक अभीतक प्रदेश में करीब 17,800 हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में समा गई है. मोटा-मोटा करीब दो करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है. वहीं फसलों के खराब होने से सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं.

किसानों की मेहनत पर फिर गया पानी: उत्तराखंड में इस बार का मॉनसून किसानों के लिए खुशियां नहीं, बल्कि तबाही लेकर आया है. पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है, जिससे हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. पहाड़ी इलाके में जहां लैंडस्लाइड और बादल फटने जैसी घटनाएं हो रही हैं, तो वहीं मैदानी इलाकों में नदियों का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. हरिद्वार के लक्सर इलाके में तो गांव के गांव डूब गए हैं. खेतों में तैयार हो चुकी फसल पर बाढ़ का पानी फिर गया.

उत्तराखंड में बर्बादी लाया मॉनसून
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इस मॉनसून सीजन की बात करें तो अबतक प्रदेश में 17,800 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ और आपदा की चपेट में है. इसमें से 5 हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जिसे 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान पहुंचा है. वहीं, 11,234 हेक्टेयर कृषि भूमि ऐसे है, जहां 33 फीसदी नुकसान हुआ है. इसके अलावा 6,500 हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जहां नुकसान 33 प्रतिशत से कम हुआ है.

इनके अलावा 8 हेक्टेयर कृषि भूमि ऐसी ही है, जहां भारी बरसात और भूस्खलन की वजह से मलबा आया है. हालांकि अभीतक राजस्व विभाग और कृषि विभाग कुल नुकसान का आकलन नहीं कर पाये हैं. लेकिन मोटे तौर पर माना जा रहा है कि किसानों को इस बार मॉनसून में अभीतक 2:15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

हरिद्वार में सबसे ज्यादा नुकसान: उत्तराखंड में कृषि भूमि का सबसे ज्यादा नुकसान हरिद्वार जिले में हुआ है. जानकारी के मुताबिक इस मॉनसून सीजन में अबतक हरिद्वार में 16,558 हेक्टेयर कृषि भूमि भारी बारिश की भेंट चढ़ी है. उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक के जखोल गांव में बादल फटने से 10 से 12 खेत पर बह गए हैं, जिसमे करीब 15 नाली भूमि व 5 किसान प्रभावित हुए हैं.

बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान हरिद्वार जिले में हुआ है.
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वहीं, उत्तरकाशी जिले के नौगांव में दो किसानों के सेब के पेड़ों को क्षति हुई है. रुद्रप्रयाग के फाटा में आधा हेक्टेयर खेतों को भूस्खलन के कारण नुकसान हुआ है और 24 से 25 किसान प्रभावित हुए हैं. उधमसिंह नगर में खेतों में जलभराव की समस्या है और 12 से 15 प्रतिशत नुकसान हुआ है.

नैनीताल के रामगढ़ में गदेरा आने से 600 आडू के पौधों को नुकसान हुआ है. देहरादून के चकराता में 27% सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है. पौड़ी में 20% सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है. मरोड़ा में दो पॉलीहाउस क्षतिग्रस्त हुए हैं. जनपद बागेश्वर, टिहरी, चमोली, अल्मोड़ा, चंपावत में स्थिति सामान्य है.

देहरादून में पिछले दिनों बारिश भारी बारिश से सहसपुर ब्लॉक के 15 किसान प्रभावित हुए हैं. हरिद्वार जनपद में 1233 हेक्टेयर कृषि भूमि में नुकसान हुआ है और स्थिति सामान्य होने पर राजस्व विभाग की टीम के साथ मुआवजा वितरण की कार्रवाई की जाएगी. नैनीताल जनपद में 12 किसान आपदा से प्रभावित हुए. इसके अतिरिक्त अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर सहित अन्य जनपदों में स्थिति सामान्य है.

मुआवजे के मानक:उत्तराखंड में दैवीय आपदा से कृषि भूमि को हुए नुकसान को लेकर भारत सरकार ने कुछ मानक स्थापित किए हैं, जिसके तहत किसानों या पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 35 फीसदी से ज्यादा के क्रॉप लोन लेने की फसल के नुकसान की स्थिति में असिंचित भूमि पर 8500 रुपए प्रति हेक्टेयर और सिंचित भूमि पर 17,500 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है. वहीं पहाड़ों पर मौजूद छोटे किसानों के लिए इस मानक के व्यावहारिक न होने की वजह से कम से कम असिंचित भूमि पर ₹1000 और सिंचित भूमि पर ₹2000 का मुआवजा दिया जाता है.

खेत में मलबा आने पर: उत्तराखंड में अक्सर पहाड़ों में भूस्खलन और मैदानों में जलभराव या फिर तेज बारिश होने की वजह से खेतों में मलबा आ जाता है. ऐसे में खेतों में होने वाले नुकसान में 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है तो वहीं कम भूमि होने पर भी कम से कम ₹2200 का मुआवजा दिया जाता है.
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भूमि कटाव होने पर: मानसून सीजन में देखा जाता है कि अक्सर भूस्खलन या फिर बाढ़ आने की वजह से कृषि भूमि का कटान हो जाता है और पूरा ही खेत कट कर चला जाता है. ऐसी स्थिति में 47,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है और कम भूमि होने पर भी न्यूनतम ₹5000 का मुआवजा दिया जाता है.

सदाबहार फसलों के नुकसान पर पहाड़ों पर होने वाली बागवानी खासतौर से सेब और कीवी इत्यादि के ऐसे काश्तकार जोकि साल भर अपनी फसल तैयार होने का इंतजार करते हैं और प्राकृतिक आपदा की वजह से उनका नुकसान हो जाता है तो ऐसी स्थिति में 22,500 प्रति हेक्टेयर का मुआवजा नुकसान होने की स्थिति में दिया जाता है और यदि कृषि भूमि कम भी है तो न्यूनतम 2500 का मुआवजा काश्तकारों को दिया जाता है.

Last Updated : Jul 20, 2023, 1:26 PM IST

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