चेन्नै: उन मोबाइल फोन पर गेम खेलने वाले छोटे बच्चे हों या किशोर, यह लत उनके लिए मानसिक समस्या का कारण बन सकती है. तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें 17 साल का एक किशोर डिमेंशिया का शिकार बन गया है. उसकी अचेत अवस्था में ऐसी हरकत कर रहा है, जैसे वह गेम खेलने के दौरान करता था. उसे घर वालों की बात भी समझ में नहीं आ रही है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तिरुनेलवेली जिले के सरकारी अस्पताल में 4 अप्रैल की आधी रात 17 साल के एक छात्र को एडमिट किया गया. वह लड़का अचेत था. उसे दुनिया की कोई खबर नहीं थी, मगर उसके हाथ ऐसे चल रहे थे, जैसे वह गेम खेल रहा हो. वह किसी मोबाइल गेम की तरह अपने हाथों को ही बंदूक बनाकर चला रहा था. प्रारंभिक जानकारी से पता चला कि पीड़ित नंगुनेरी का एक स्कूली छात्र था. डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे की ऐसी हालत लगातार मोबाइल फोन पर फ्री फायर गेम खेलने की लत के कारण हुई है.
हॉस्पिटल में एडमिट छात्र का वायरल वीडियो इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है, जिससे काफी विवाद हुआ. इस बीच, कई अभिभावकों ने सरकार से छात्रों को स्मार्टफोन गेम की लत से बचाने के लिए कार्रवाई करने की मांग की है.
डॉक्टरों का कहना है कि मोबाइल गेम की लत के कारण बच्चे गेमिंग गेमिंग डिस्ऑर्डर के शिकार हो रहे हैं. इन ऑनलाइन गेम्स में लेवल क्रॉस करने पर नंबर दिए जाते हैं. इस कारण बच्चों को इस वर्चुअल खेल की लत लग जाती है. यह सामने आया है कि इस कारण 15 वर्ष से लेकर 21 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में डिप्रेशन की बीमारी भी बढ़ रही है. मोबाइल गेम्स खेलने वाले बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया को धीरे-धीरे सच मान लेते हैं. ऐसे में उनका व्यवहार भी बदलन लगता है. जब उन्हें गेम खेलने से रोका जाता है तो वह हिंसक भी हो जाते हैं. कई बार वह गेम नहीं खेलने पर चिड़चिड़े हो जाते हैं.
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