जम्मू-कश्मीर :2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भारत के विदेशी बॉर्डर पर सख्ती बढ़ाई गई. सुरक्षा बलों ने भी पाकिस्तानी बॉर्डर से घुसपैठ को कम करने में कामयाबी पाई. इसके अलावा कश्मीर से आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान जाने वाले युवाओं को रोका. इसके बाद से पाकिस्तान ने भारत के कश्मीरी युवाओं को टारगेट करने का नया तरीका आजमाया. जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक 2015 के बाद से बड़ी संख्या में युवाओं ने पाकिस्तान में हायर एजुकेशन और शादी-ब्याह के नाम पर वीजा हासिल किया मगर आंतकी ट्रेनिंग के बाद हथियारों के साथ एलओसी क्रॉस कर भारत लौटे . जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया कि पाकिस्तान से लौटे 17 कश्मीरी आतंकी सुरक्षा बलों के आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे जा चुके हैं. इन दिनों 13 आंतकी घाटी में छिपकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने पिछले साल बताया था कि 2017 और 2018 के दौरान टूरिस्ट वीजा या स्टडी वीजा पर पाकिस्तान गए राज्य के कम से कम 57 युवा आतंकवादी ग्रुपों में शामिल हो गए थे. उन्होंने बताया कि उनमें 30 आतंकियों ने हथियारों के साथ अवैध तरीके से एलओसी क्रॉस कर कश्मीर लौटे थे. इनमें से 17 आतंकी आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे गए जबकि 13 अभी भी कश्मीर वैली में सक्रिय हैं. सुरक्षा एजेंसियां उन पर नजर रख रही है. आज भी कई कश्मीरी युवा वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी पाकिस्तान में है. सरकार हाल के दिनों में कश्मीरी छात्रों को पढ़ाई के लिए पाकिस्तान जाने की मंजूरी देने में सख्ती कर रही रही है क्योंकि युवा पढ़ाई के नाम पर पाकिस्तान जाते हैं, लेकिन वहां से आतंकवादी बनकर लौटते हैं. दिलबाग सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर के छात्र किस स्थिति और परिस्थितियों में पाकिस्तान में रहते हैं, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि वहां से वे आतंकवादी बनकर लौटते हैं. इसलिए सरकार को सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखने के लिए सख्त होना होगा.