जालौन: तहसील क्षेत्र के अंतर्गत गांव में पुश्तैनी मकान को ढहाकर नए मकान निर्माण के दौरान की जा रही खुदाई के समय जमीन से चांदी के प्राचीन सिक्के मजदूरों को मिले. जमीन से सिक्के निकलने का सिलसिला शुक्रवार देर रात तक चला. यह खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई, जिसे देखने के मकसद से लोगों का हुजूम इकट्ठा होने लगा. लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए खुदाई करा रहे मकान मालिक ने इसकी सूचना प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को दी. तत्काल संज्ञान लेते हुए पुलिस कोतवाली की टीम और उप जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे. पूछताछ करते हुए मामला सही पाए जाने पर जमीन से मिलने वाले सिक्कों को जब्त कर पुरातत्व विभाग को सूचना दी गई. साथ ही पुलिस फोर्स को लगा दिया गया, जिससे इलाके की निगरानी की जा सके. यह पुराने सिक्के चांदी के हैं, जो 161 साल पुराने 1862 में अंग्रेजी हुकुम के दौरान चलने के प्रमाण मिले हैं.
पूरी घटना उरई मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर जालौन कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम व्यासपुरा की है. इसी गांव के रहने वाले कमलेश कुशवाहा अपने मकान का निर्माण कराने के लिए घर की मिट्टी की खुदाई करा रहे थे. जब मजदूरों द्वारा शुक्रवार देर रात मिट्टी की खुदाई की जा रही थी, तभी एक मजदूर का फांवडा एक बर्तन से टकराया. आवाज सुनकर उसने मकान मालिक को बुलाया और उसके सामने खुदाई कराई गई तो एक बर्तन मिला. इसे बाहर निकाला गया तो उसमें चांदी के सैकड़ों सिक्के और चांदी के जेवरात मिले. यह देखकर मकान मालिक अचंभित हो गया. उसने चांदी के सिक्के और चांदी के जेवरात को छिपाने का प्रयास किया. लेकिन, जेवरात और चांदी के सिक्के मिलने की खबर गांव में जंगल में आग की तरह फैल गई, जिसे देखने के लिए गांव के लोग कमलेश कुशवाहा के घर पहुंच गए.
प्राचीन सिक्के मिलने की सूचना गांव के लोगों द्वारा पुलिस प्रशासन को दी गई. सूचना मिलते ही उरई तहसील के उप जिलाधिकारी जालौन कोतवाली पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने खुदाई के दौरान मिलने वाले सिक्कों को जब्त कर लिया. साथ ही इसके बारे में पुरातत्व विभाग को सूचना दी. इसके बाद पुलिस की निगरानी में आसपास की खुदाई कराई गई, जिससे पता किया जा सके कि कहीं और तो सिक्के जमीन के अंदर नहीं हैं. वहीं, प्रशासन ने जिन सिक्कों को जब्त किया है, वह सिक्के आज से 161 साल पुराने 1862 में प्रचलित थे. इन सिक्कों पर सन भी लिखा हुआ है, साथ ही सिक्कों के साथ चांदी की चूड़ी मिली हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि महिलाएं इन चूड़ी को हाथ में पहनती थीं.