दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पंजाब में मिले 165 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के भारतीय सैनिकों के थे: अध्ययन

2014 में पंजाब के अजनाला कस्बे में एक कुएं से मिले कंकाल के बारे में खुलासा हुआ है. हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) और अन्य संस्थानों के एक आनुवंशिक अध्ययन किया. जिसके बाद दावा किया जा रहा है कि ये कंकाल 26वीं ‘नेटिव बंगाल इंफैंट्री बटालियन’ के सैनिकों के हैं, जो 1857 के विद्रोह के दौरान शहीद हो गये थे.

160-year-old skeletons in Punjab belong to martyrs of the Ganga plain: Genetic study
पंजाब में मिले 165 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के भारतीय सैनिकों के थे: अध्ययन

By

Published : Apr 29, 2022, 10:12 AM IST

नई दिल्ली : पंजाब में 2014 में खोद कर निकाले गए 165 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के उन भारतीय सैनिकों के हैं. जिनकी 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना ने हत्या कर दी थी. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. अजनाला शहर के एक पुराने कुएं में बड़ी संख्या में मानव कंकाल मिले थे. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये कंकाल 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान हुए दंगों में मारे गए लोगों के हैं.

विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर, यह भी कहा जाता है कि ये 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए भारतीय सैनिकों के कंकाल हैं. हालांकि, वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के कारण इन सैनिकों की पहचान और वे कहां से नाता रखते थे, इसको लेकर बहस जारी है. ‘फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स’ में गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ये कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के सैनिकों के हैं. जिनमें बंगाल, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग भी शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के अनुसार, अध्ययन में सामने आए तथ्य 'भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों' के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ते हैं.

पढ़ें : गुजरात: पुलिस थाना परिसर में मिले मानव कंकाल के अवशेष

डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चौबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि अध्ययन में दो तथ्य सामने आए हैं...पहला कि भारतीय सैनिक 1857 के विद्रोह के दौरान मारे गए. दूसरा यह कि वे गंगा के मैदानी क्षेत्र से नाता रखते थे, पंजाब से नहीं. उन्होंने कहा कि ये किस क्षेत्र से नाता रखते थे, इस बात को लेकर एक बहस चल रही है. कई लोगों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान इनकी हत्या की गई. वहीं, इनके 1857 विद्रोह से जुड़े होने का दावा करने वाले भी दो समूह हैं, जिनमें से एक इनकों स्थानीय पंजाबी सैनिक बताता है और दूसरा समूह उन्हें मियां मीर छावनी लाहौर में तैनात 26वीं मूल पैदल सेना रेजिमेंट के सैनिक मानता है. अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन डीएनए विशेषज्ञ नीरज राय ने कहा कि दल द्वारा किया गया. वैज्ञानिक शोध, इतिहास को साक्ष्य-आधारित तरीके से देखने में मदद करता है. शोधकर्ताओं ने डीएनए विश्लेषण के लिए 50 नमूनों और आइसोटोप विश्लेषण के लिए 85 नमूनों का इस्तेमाल किया.

पढ़ें : नोएडा के सेक्टर 26 के खाली प्लाट में मिला कंकाल

हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) और अन्य संस्थानों के एक यह आनुवंशिक अध्ययन किया गया. दावा किया जा रहा है कि कुएं से मिले कंकाल 26वीं ‘नेटिव बंगाल इंफैंट्री बटालियन’ के सैनिकों के हैं. सीसीएमबी ने गुरुवार को कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय के मानवविज्ञानी जे एस सहरावत ने इन शहीदों के मूल निवास स्थान का पता लगाने के लिए डीएनए और आइसोटोप विश्लेषण का उपयोग करते हुए सीसीएमबी, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के साथ सहयोग किया.

के. थंगराज, मुख्य वैज्ञानिक, सीसीएमबी ने कहा कि डीएनए विश्लेषण और आइसोटोप विश्लेषण पद्धतियों से इस दावे को समर्थन मिला कि ये कंकाल पंजाब या पाकिस्तान में रहने वाले लोगों के नहीं हैं. इसके बजाय, डीएनए अनुक्रमों का मिलान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों से होता है. अध्ययन में एक अहम भूमिका निभाने वाले बीएचयू के प्राणिविज्ञान विभाग के प्राध्यापक ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि अध्ययन का निष्कर्ष देश के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष के गुमनाम नायकों के इतिहास में एक अध्याय जोड़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details