दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 16 प्रतिशत की गिरावट: केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी कि 2019-20 की तुलना में 2020-21 में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 प्रतिशत की कमी आई है. इस बात की जानकारी देश के शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने एक लिखित प्रतिक्रिया के तौर पर दी.

enrollment of Muslim students
मुस्लिम छात्रों के नामांकन

By

Published : Jul 24, 2023, 5:55 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि नवीनतम AISHE 2020-21 के अनुसार, 2019-20 की तुलना में 2020-21 में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है और उत्तर प्रदेश में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह जानकारी भारत के शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार की लिखित प्रतिक्रिया के रूप में आई, जब उन्होंने बसपा सांसद कुंवर दानिश ऐई के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पूछा कि क्या एआईएसएचई ने इसका खुलासा किया है.

उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश में ऐसे नामांकन में सबसे अधिक 36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. मंत्री ने अपने जवाब में आगे कहा कि हालांकि, मुस्लिम छात्रों का नामांकन 17,39,218 (एआईएसएचई 2016-17 के अनुसार) से बढ़कर 19,21,713 (एआईएसएचई 2020-21 के अनुसार) हो गया है, जो पूरे देश में 1,82,495 (10.5 प्रतिशत) की वृद्धि है.

उल्लेखनीय विशेषता यह है कि महिला मुस्लिम छात्रों की संख्या पुरुष मुस्लिम छात्रों से अधिक है. इस तरह की गिरावट को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया गया. नामांकन, राज्य मंत्री ने अपने उत्तर में कहा कि सरकार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की छात्रवृत्ति/अध्येतावृत्ति योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक छात्रों को प्रोत्साहित कर रही है.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों, अर्थात् बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, सिख और पारसी (पारसी) से संबंधित छात्रों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए प्रीमैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स आधारित छात्रवृत्ति योजनाएं लागू करता है. उन्होंने आगे कहा कि योजनाओं का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का उत्थान करना, उच्च शिक्षा में उनकी प्राप्ति की दर बढ़ाना और उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि करना और गरीब व मेधावी छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाना है.

उन्होंने कहा कि ये योजनाएं शैक्षणिक संस्थानों में अल्पसंख्यक छात्रों के नामांकन को बेहतर बनाने में सहायक रही हैं. यहां यह ध्यान रखना उचित है कि पिछले साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को प्रतिबंधित करने के बाद, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 2022-23 से अल्पसंख्यक छात्रों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए समर्पित मौलाना आज़ाद फ़ेलोशिप को रोक दिया था. इस वर्ष के बजट के दौरान, मंत्रालय के आवंटन में 38 प्रतिशत तक की कटौती की गई. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवंटन में भारी कमी की गई, जो 2022-23 में 1,425 करोड़ रुपये से गिरकर 2023-24 में 433 करोड़ रुपये हो गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details