नई दिल्ली :15वें सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15th Civil Services Day PM Narendra Modi) ने ब्यूरोक्रेट्स को संबोधित किया. आईएएस अधिकारियों से मुखातिब पीएम मोदी ने उन्हें कर्मयोगी करार दिया. प्रधानमंत्री ने सिविल सेवा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा, आज जिन साथियों को ये अवार्ड मिले हैं, उनको, उनकी पूरी टीम को और उस राज्य को भी मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई. प्रधानमंत्री ने कहा, आप जैसे साथियों से इस प्रकार से संवाद मैं लगभग 20-22 साल से कर रहा हूं. पहले मुख्यमंत्री के रूप में करता था और अब प्रधानमंत्री के रूप में कर रहा हूं. उसके कारण एक प्रकार से कुछ मैं आपसे सीखता हूं और कुछ अपनी बातें आप तक पहुंचा पाता हूं.
बकौल पीएम मोदी, इस बार का आयोजन रूटीन प्रक्रिया नहीं है, मैं इसे विशेष समझता हूं. विशेष इसलिए क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव में जब देश आजादी के 75 साल मना रहा है, तब हम इस समारोह को कर रहे हैं. सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मैं चाहूंगा कि आजादी के इस अमृत काल में आप अपने डिस्ट्रिक्ट में जो पहले कलेक्टर के रूप में काम करके गए हैं, एक बार अगर हो सके तो उनका मिलने का कार्यक्रम बनाइये. आपके पूरे जिले के लिए वो एक नया अनुभव होगा. इसी तरह राज्यों में जो चीफ सेक्रेटरी के रूप में कार्य करके गए हैं, एक बार राज्य के मुख्यमंत्री उन सबको बुला लें. देश के प्रधानमंत्री, जितने भी कैबिनेट सेक्रेटरी रहे हैं उनको बुला लें.
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत काल, 75 साल की इस यात्रा में भारत को आगे बढ़ाने में सरदार पटेल का सिविल सर्विस का जो तोहफा है. इसके जो ध्वजवाहक लोग रहे हैं, उन्होंने इस देश की प्रगति में कुछ न कुछ योगदान दिया ही है. उन सबको स्मरण करना, उनका सम्मान करना, ये भी आजादी के अमृत काल में सिविल सर्विस को ऑनर करने वाला विषय बन जायेगा. हम पिछली शताब्दी की सोच और नीति नियमों से अगली शताब्दी की मजबूती का संकल्प नहीं कर सकते.
सिविल सेवकों को मिला सम्मान : प्रधानमंत्री ने सिविल सेवा दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार भी प्रदान किए. केन्द्र और राज्य सरकारों के संगठनों और जिलों द्वारा जन हित के असाधारण और अभिनव कार्यों को सम्मानित करने के लिए ये पुरस्कार दिए जाते हैं. इस वर्ष प्राथमिकता के आधार पर पांच कार्यक्रमों के लिए 10 पुरस्कार दिए गए. केन्द्र और राज्य सरकार के संगठनों और जिलों को नवाचार के लिए छह पुरस्कार प्रदान किये गए.
प्रधानमंत्री ने कहा, हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में है और हमारे सामने तीन लक्ष्य साफ-साफ होने चाहिए. उन्होंने कहा कि पहला लक्ष्य है कि देश में सामान्य से सामान्य मानवी के जीवन में बदलाव आए, उसके जीवन में सुगमता आए और उसे इसका एहसास भी हो. भारत की संस्कृति की ये विशेषता है कि हमारा देश राज्य व्यवस्थाओं से नहीं बना है. बकौल पीएम मोदी, हमारा देश राजसिंहासनों की बपौती नहीं रहा है. ये देश सदियों से, हजारों वर्ष के लंबे कालखण्ड से हमारी जो परंपरा रही है, वो जनसामान्य के सामर्थ्य को लेकर चलने की परंपरा रही है.