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बिहार में एक और 'मांझी' : छेनी हथौड़ी से पहाड़ चीरकर निकाला रास्ता, 8 साल में बनाई 1500 फीट ऊंची सीढ़ी

जहानाबाद के गनौरी पासवान ने पहाड़ की चोटी पर स्थित भोले बाबा के मंदिर तक जाने के लिए चट्टानों को काटकर 1500 फीट ऊंची सीढ़ी बना ली. जहानाबाद के माउंटेन मैन गनौरी पासवान ( Jehanabad Mountain Man Ganauri Paswan ) दशरथ मांझी को अपना आदर्श मानते हैं और उसी लगन से उन्होंने आठ साल में पहाड़ पर हथौड़े और छेनी से सीढ़ी बना डाली. पढ़ें पूरी खबर..

Ganauri Paswan Etv Bharat
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Published : Dec 1, 2022, 3:40 PM IST

जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद के गनौरी पासवान (50) ने भोले बाबा तक पहुंचने के लिए पहाड़ का सीना चीर कर आस्था की सीढ़ी (Ladder made by cutting mountain in Jehanabad) बना दी. पहाड़ पर 1500 फीट ऊंची सीढ़ी बनाने के लिए गनौरी आठ साल तक दिन-रात हथौड़ी और छेनी चलाता रहा. इसमें उसके पूरे परिवार ने भी सहयोग किया. हुलासगंज थाना क्षेत्र के जारु बनवरिया गांव के पास ऊंची पहाड़ी पर स्थित बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचने में होने वाली दिक्कत को दूर करने के लिए गनौरी ने खुद से सीढ़ी बनाने की ठानी और इस काम को मुकम्मल किया.

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देखें रिपोर्ट.

1500 फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी तक बनाई सीढ़ीःपत्नी के लिए पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को पूरी दुनिया जानती है. उनकी ही डगर पर चलकर जहानाबाद जिले के गनौरी पासवान ने पत्नी संग मिलकर आस्था के लिए छेनी-हथौड़ी से चट्टान को काटकर 1500 फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी तक सीढ़ियां बना दी. पहाड़ पर भगवान योगेश्वर नाथ का मंदिर है. यहां तक पहुंचने के लिए अब दो तरफ से आसान रास्ता बना दिया गया. माउंटेन मैन को अपना आदर्श मानने वाले गनौरी पासवान ने आठ वर्षों में लगभग 400 सीढ़ियां बना दी. सपरिवार मिलकर गनौरी पासवान ने यह मिसाल कायम की है.

बिना सीढ़ी चोटी तक पहुंचे के मुश्किल राह को बनाया आसानः हुलासगंज थाना क्षेत्र के जारु बनवरिया गांव के पास ऊंची पहाड़ी पर अवस्थित बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर में गनौरी भजन कीर्तन के लिए जाते थे. घंटों मशक्कत के बाद वहां पहुंच पाते थे. कई बार कांटे और नुकीले पत्थरों से घायल भी हो जाते थे. महिलाएं तो और भी मुश्किल से पहुंच पाती थी. यह देख गनौरी पासवान ने बाबा योगेश्वर नाथ धाम तक रास्ता सुगम बनाने की ठान ली.

पहाड़ तक पहुंचने के लिए एक नहीं दो रास्ते बनाएः पहाड़ तक आसानी से पहुंचने के लिए गनौरी ने पत्थरों को काटकर सीढ़ी बनाने की शुरुआत की. मंदिर तक पहुंचने के लिए एक नहीं बल्कि दो रास्ते बना दिए. एक रास्ता जारू गांव की ओर से और दूसरा बनवरिया गांव की ओर से बनाया गया है. लोगों के सहयोग और अपने पूरे परिवार के श्रमदान से लगभग आठ वर्षों में इस काम को पूरा किया.

कभी ट्रक चालक और राज मिस्त्री थे गनौरीः गनौरी पासवान कभी ट्रक ड्राइवर हुआ करते थे. ड्राइवरी छूटा तो घरों में राजमिस्त्री का काम करने लगे. छुट्टियों में घर आने पर लोक संगीत और गायन में गहरी रुचि लेते थे. गांव की गायन मंडली के साथ जारु बनवरिया गांव के पास पहाड़ पर स्थित बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर में भजन कीर्तन के लिए जाते थे. कठिन परिश्रम से वहां तक लोग पहुंच पाते थे. तभी मन में संकल्प लिया कि बाबा योगेश्वर नाथ धाम तक की यात्रा को वह हर हाल में सुगम बनाएंगे. यहीं से पत्थरों को काटकर सीढ़ी बनाने की शुरुआत हुई.

मूर्तियों की भी खोज करते हैं गनौरीःगनौरी पासवान की एक और खासियत है. वह पहाड़ की तलहटियों में जाकर पुरानी मूर्तियों की भी खोज करते हैं. फिर उन मूर्तियों को योगेश्वर नाथ मंदिर के रास्ते पर स्थापित कर देते हैं. काले पत्थर की भगवान बुद्ध की छह फीट की विशाल प्रतिमा भी खोज निकाली. इसका जिक्र इतिहास के पन्नों में दर्ज है. पर्यटन स्थल बनाने की चाहत गनौरी पासवान कहते हैं कि उन्हें पता नहीं कहां से ऐसी शक्ति मिलती है. इससे वह दिन रात पहाड़ों में छेनी हथौड़ी लेकर खोये रहते हैं. अब एक ही संकल्प है कि योगेश्वर नाथ मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में पहचान मिले. इस काम में पत्नी, बेटे का भरपूर सहयोग मिल रहा है.

"2014 से यहां सीढ़ी बनाने के काम में लगे हैं. आठ-दस सीढ़ियों का निर्माण बचा हुआ है. इसे भी जल्द पूरा कर लेंगे. इसमें मेरी पत्नी और बच्चे भी सहयोग करते हैं. बस बाबा के धाम तक राह आसान बनाना ही एक उद्देश्य है"- गनौरी पासवान

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