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150 years of Kolkata Tram Services: कोलकाता ट्राम सेवा के 150 साल, अब परिचालन पर उठ रहे सवाल - अब परिचालन पर उठ रहे सवाल

कोलकाता में ट्राम की सेवा के 150 साल हो गए है. सड़क पर वाहनों के दबाव के चलते इसके परिचालन पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं, लोग इसे धरोहर मानते हुए सरकार से इसकी सेवा बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं.

Etv Bharat150 years of Kolkatas Tram Services Is it new beginning or a farewell
Etv Bhaकोलकाता ट्राम सेवा के 150 साल: यह नई शुरुआत है या विदाई?rat

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Published : Feb 26, 2023, 8:34 AM IST

कोलकाता: कोलकाता ट्राम सेवा के 150 साल हो गए हैं. 24 फरवरी, 1873 को तत्कालीन ब्रिटिश काल में कलकत्ता (अब कोलकाता) में ट्राम सेवा की शुरुआत हुई थी. उस समय कोलकाता शहर में सियालदह से अर्मेनियाई घाट तक घोड़ा-चालित लकड़ी का पहला ट्राम था. 24 फरवरी को ट्राम का 150वीं वर्षगाँठ था. ट्राम ने कोलकाता में अपनी यात्रा शुरू करने के बाद देश के कई अन्य शहरों में ट्राम चलायी.

हालाँकि, समय बीतने के साथ, बाकी शहरों में ट्राम परिवहन बंद कर दिया गया, लेकिन यह आज तक कोलकाता में बना हुआ है. कोलकाता एशिया और भारत का सबसे पुराना और एकमात्र शहर है जहाँ आज भी सड़कों पर ट्राम देखी जाती हैं. हालाँकि, ट्राम अब स्मार्ट शहरों के विचार से असंगत हैं. कम से कम पुलिस और प्रशासन तो यही सोचता है.

पूरे साल आम जनता से लेकर सरकार और मीडिया को ट्राम को लेकर ज्यादा सिरदर्द नहीं रहा, लेकिन शुक्रवार को एस्पलेनैड ट्राम डिपो में ट्राम को लेकर जो उन्माद था वह साफ नजर आया. हावड़ा, शिबपुर और कोलकाता के बीच लगभग 41 ट्राम मार्ग हैं, और अब यह केवल दो मार्गों पर चलती है. यहां थोड़ा इतिहास जानने की जरूरत है. 1967 तक ट्राम ब्रिटिश के अधीन थे.

1967 में तत्कालीन वामपंथी सरकार को ट्राम सौंपने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था. यह प्रक्रिया 1978 तक जारी रही. इस अवधि के दौरान कुछ क्षेत्रों में ट्राम में सुधार हुआ, लेकिन हावड़ा में पहली ट्राम सेवा बंद कर दी गई. उसके बाद शहर में सबसे पहले निमतला मार्ग को बंद किया गया. फिर 1980 से मेट्रो के विस्तार के कारण एक के बाद एक मार्ग बंद होते गए.

ट्रामों की धीमी गति सड़कों पर बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम पैदा करती है. पुलिस प्रशासन द्वारा इस तरह की शिकायतें बार-बार की जाती रही हैं. दिन के व्यस्त समय में भी, उन्हें ट्राम के लिए अन्य वाहनों के यातायात का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. इसलिए, वामपंथी शासन में धीरे-धीरे शहर में ट्राम चलाने में रुचि कम होती गई. फिलहाल मेट्रो के काम और फ्लाईओवर की मरम्मत के लिए और रूटों को फिर से बंद कर दिया गया है.

शहर के ट्रेन प्रेमियों के मुताबिक न सिर्फ मौजूदा सरकार बल्कि वामपंथी सरकार ने भी ट्रामों को हटाने का सुनियोजित प्रयास शुरू कर दिया है. ऑटोमोबाइल लॉबी की सुविधा के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं. ट्राम कंपनी की जमीन बेचने से लेकर ट्राम रिजर्व ट्रैक को गिराने और ट्राम लाइन को सड़क से समतल करने तक, ताकि वाहनों के आवागमन में कोई समस्या न हो. नतीजतन, सड़क के बीच में ट्राम को चलाना खतरनाक और जोखिम भरा है.

2017 तक, कोलकाता में 25 ट्राम मार्ग संचालित थे. फिर 2020 में सुपर साइक्लोन अम्फान के बाद दो रूट लॉन्च किए गए. वर्तमान परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा, 'कोलकाता में आबादी के साथ-साथ वाहन भी बढ़े हैं. आज कुल सड़कों का केवल छह प्रतिशत वाहनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि सड़कें नहीं हैं इसलिए उस नजरिए से कई रूटों पर ट्राम चलाना संभव नहीं होगा.

लेकिन हम निश्चित रूप से ट्रामों को उन मार्गों पर चलाएंगे जहां यह संभव होगा. क्योंकि ट्रामों को सौंपने की परिवहन विभाग की कोई योजना नहीं है. ट्राम हमारे शहर की धरोहर हैं.' हालांकि, कलकत्ता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन (सीटीयूए) से जुड़े ट्राम शोधकर्ता और ट्राम प्रेमी डॉ. देबाशीष भट्टाचार्य ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया.

देबाशीष भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत को एक विशेष बातचीत में कहा, 'दरअसल, हम में से बहुत से लोग आज भ्रमित हैं क्योंकि यह ट्राम यात्रा नई नहीं है. कई सालों से ट्राम का जन्मदिन 24 फरवरी को मनाया जाता है. लेकिन इस आयोजन के समाप्त होने के बाद भी ट्राम में कोई सुधार नहीं हुआ है.' साथ ही अब इसमें एक और बात जुड़ गई है कि ट्राम से विरासत को जोड़ा जा रहा है. दरअसल, ट्राम की प्रासंगिकता और फायदों का प्रचार किए बगैर परंपरा के लालच में लोगों को भुला दिया जा रहा है.'

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उन्होंने कहा,' यह पूरी तरह से बकवास है क्योंकि दुनिया के जिन शहरों में कभी ट्राम रुकी थी, वहां ट्राम अपनी शान के साथ लौट आई है.' दरअसल, परिवहन मंत्रालय सार्वजनिक परिवहन को लेकर उत्साहित नहीं है. फोकस इस बात पर है कि अधिक निजी वाहनों को कैसे चलाया जाए. और ट्राम को लेकर सरकार में जरा भी उत्साह नहीं है. लेकिन मुझे लगता है कि यह कार्यक्रम एक बूस्टर के रूप में काम करेगा क्योंकि ट्राम के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा जा रहा है और इतने सारे लोग उत्साह से कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, सरकार इसे पूरी तरह से बंद नहीं कर पाएगी. हम अभी भी आशान्वित हैं.'

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