श्रीनगर : सरकार ने आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है क्योंकि वार्षिक तीर्थयात्रा में पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा को लेकर अधिक खतरा है. नियंत्रण रेखा के उसपार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में बने अलग-अलग लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं, जबकि 500 से 700 के करीब अन्य आतंकवादी 11 प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं. यह दावा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को किया. अधिकारी ने कहा, अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा खतरे के बढ़े हुए खतरे को देखते हुए, हमने पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा व्यवस्था को तीन गुना अधिक बढ़ा दिया है.
उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की एलओसी पार घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश को सफलतापूर्वक नाकाम किया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण दो साल के लिए स्थगित की गई वार्षिक अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है. सरकार को तीर्थयात्रा के लिए 6-8 लाख यात्रियों के कश्मीर पहुंचने की उम्मीद है. वहीं गृह मंत्रालय ने पहले से ही सुरक्षा बलों, पुलिस और सेना के जवानों के अलावा 30000 अतिरिक्त जवानों को यात्रा पर तैनात करने के लिए भेजा है.
अधिकारी ने कहा कि हाल के महीनों में टारगेट किलिंग के बावजूद सुरक्षा की स्थिति बेहतर है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ काइनेटिक ऑपरेशन चला रहे हैं और इस वजह से कई आतंकी मुठभेड़ में मारे गए हैं. टारगेट किलिंग पर अधिकारी ने कहा कि हत्याओं का उद्देश्य डर पैदा करना और आतंकवादियों द्वारा अधिक प्रभाव पैदा करना है, जिन्हें उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाकर पीछे धकेल दिया जाता है.
सेना के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया, 'एलओसी के उस पास मनसेरा, कोटली और मुजफ्फराबाद स्थित 11 प्रशिक्षिण शिविरों में 500 से 700 लोग आतंकवाद का प्रशिक्षण ले रहे हैं.' उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक पीओके में बने लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं. अधिकारी ने कहा कि इस साल अबतक एलओसी पार कर घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है.