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अमेरिकी कंपनी से मिला जॉब ऑफर लेकिन नागपुर के वेदांत की उम्र बनी बाधा - Vedant Deokate

नागपुर के वेदांत देवकाटे (Vedant Devkate) को अमेरिकी कंपनी से 33 लाख रुपये सालाना वेतन का नौकरी का ऑफर तो मिल गया लेकिन उनकी उम्र महज 15 साल होने के कारण नौकरी नहीं मिल सकी. पढ़िए पूरी खबर...

Vedant Devkate
वेदांत देवकाटे

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Published : Jul 23, 2022, 9:47 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 5:18 PM IST

नागपुर: वेदांत देवकाटे (Vedant Devkate) पुराने लैपटॉप पर इंस्टाग्राम ब्राउज कर रहे थे, इसी दौरान उन्हें एक वेबसाइट डेवलपमेंट प्रतियोगिता का लिंक मिला. इस पर उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया. दो दिनों में कोड की 2,066 पंक्तियां लिखीं, और एक अमेरिकी कंपनी में उन्हें नौकरी का ऑफर मिल गया. उनका सालना वेतन पैकेज करीब 33 लाख रुपये सालाना तय हुआ. लेकिन वेदांत के सपनों के बीच उनकी उम्र आड़े आ गई और 15 साल उम्र होने की वजह से उन्हें यह नौकरी नहीं मिल सकी.

अमेरिकी कंपनी से मिला जॉब ऑफर लेकिन उम्र बन गई बाधा

हालांकि अमेरिकी कंपनी चाहती थी कि वेदांत उनकी एचआरडी टीम में शामिल हों और वर्क असाइन के साथ कोडर्स को मैनेज करें लेकिन बाद में यह जानने के बाद कि वह केवल 15 वर्ष का है, कंपनी ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया. उसे दुनिया भर से लगभग 1,000 प्रविष्टियों में से चुना गया था. निराश न होने के लिए कहते हुए, कंपनी ने वेदांत को सुझाव दिया कि वह अपनी शिक्षा पूरी करें और फिर नौकरी के लिए उनसे संपर्क कर सकते हैं. फर्म ने वेदांत को लिखा, 'हम आपके अनुभव, व्यावसायिकता और दृष्टिकोण से प्रभावित हैं. टीम ने आपके प्रजेंटेशन को पसंद किया. हमारी रणनीति में आपकी अंतर्दृष्टि को महत्व दिया.'

बता दें कि वेदांत ने एक वेबसाइट विकसित की थी, जो संरक्षकों को यू ट्यूब जैसे वीडियो अपलोड करने का विकल्प प्रदान करती है, जिसमें ब्लॉग, व्लॉग्स, चैटबॉट और एक वीडियो देखने का मंच भी शामिल है. इसके अलावा, कोई अपनी प्रोफ़ाइल बना सकता है, लाइव फॉलोवर्स और लाइक्स पा सकता है. उन्होंने कहा, 'मैंने एचटीएमएल और जावास्क्रिप्ट भाषा और वर्चुअल स्टूडियो कोड (2022) का इस्तेमाल किया.'

वेदांत ने नारायण ई-टेक्नो, वाथोडा में अपने स्कूल में एक रडार सिस्टम मॉडल डिजाइन करके एक विज्ञान प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक जीता था. वेदांत के पिता राजेश और मां अश्विनी नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. वे ज्यादातर अश्विनी के लैपटॉप को लॉकर में और मोबाइल फोन को कार में रखते थे, इस डर से कि कहीं किशोर अपनी पढ़ाई में कमी न कर दे. वेदांत ने कहा कि लॉडाउन के दौरान उसने ऑनलाइन कक्षाओं के लिए नेट पर खोज की. अपनी मां के लैपटॉप पर लॉकडाउन के दौरान सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट, कोडिंग और पायथन जैसी तकनीकों पर लगभग दो दर्जन ट्यूटोरियल सेशन अटेंड किए. वेदांत ने वेबसाइट डिवेलप करने के लिए पुराने लैपटॉप पर काम किया.

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Last Updated : Aug 1, 2022, 5:18 PM IST

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