नई दिल्ली :अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत सक्रिय लगभग 53 प्रतिशत संस्थान 'फर्जी' पाए गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई एक आंतरिक जांच में 830 ऐसे संस्थानों में गहरे भ्रष्टाचार का पता चला, जिससे पिछले 5 वर्षों में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (
Union Minister Smriti Irani) ने मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेज दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई को इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी.
देश में एक लाख 80 हजार अल्पसंख्यक संस्थान : देश भर में करीब 1,80,000 अल्पसंख्यक संस्थान हैं, जिन्हें मंत्रालय की ओर से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत राशि मुहैया कराई जाती है. लाभार्थियों में कक्षा एक से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्र शामिल हैं. यह पहल शैक्षणिक वर्ष 2007-2008 में शुरू की गई थी.
ये है मामला :अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जांच में 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ शामिल थी. जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया. संस्थानों ने इस कार्यक्रम के लिए फर्जी लाभार्थियों के साथ, हर साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का दावा किया था. सूत्रों ने कहा कि गैर-मौजूद या गैर-परिचालन होने के बावजूद, जांच किए गए कई संस्थान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत होने में कामयाब रहे.
आंकड़े 34 में से 21 राज्यों से आए हैं, जबकि शेष राज्यों में संस्थानों की जांच अभी भी चल रही है.फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है.
रजिस्ट्रेशन से ज्यादा छात्रों को बांटी छात्रवृत्ति :जांच के दौरान कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. केरल के मलप्पुरम में एक बैंक शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियां वितरित कीं, जो छात्रवृत्ति के लिए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की पंजीकृत संख्या से अधिक है.
इसी तरह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में, 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति का दावा किया. यहां सबसे ज्यादा चौकाने वाला मामला ये था कि एक ही अभिभावक का मोबाइल नंबर 22 बच्चों से जुड़ा था. सभी कथित तौर पर नौवीं कक्षा में थे. एक अन्य संस्थान में छात्रावास की अनुपस्थिति के बावजूद, प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति का दावा किया.