नई दिल्ली : 13 विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को ट्रोल करने के मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने पूरे मामले में राष्ट्रपति से इस विषय पर उचित कार्रवाई का अनुरोध किया है.
इस चिट्ठी के अनुसार सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ महाराष्ट्र मामले की सुनवाई कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान इस मामले में कोर्ट ने कुछ टिप्पणियां भी की थीं. पूरे मामले पर अभी फैसला नहीं आया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. चिट्ठी के अनुसार, सीजेआई की टिप्पणी जैसे ही सामने आई, सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी उनके पीछे पड़ गए. चिट्ठी में लिखा गया है कि संभवतः ट्रोलबाज महाराष्ट्र की सरकार से सहानुभूति रखने वाले हैं, इसलिए उन्होंने मुख्य न्यायाधीश पर निशाना साधा है. चिट्ठी के मुताबिक ट्रोल करने वालों ने बहुत ही निम्नस्तर की भाषा का इस्तेमाल किया है. चिट्ठी लिखने वालों ने कहा कि ऐसे ट्वीट को लाखों लोगों ने देखा है. चिट्ठी 16 मार्च को लिखी गई थी.
जिन लोगों ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा, शक्ति सिंह गोहिल, प्रमोद तिवारी, आमी याज्ञनिक, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी और आप के राघव चड्ढा, उद्धव गुट की प्रियंका चतुर्वेदी, सपा की जया बच्चन और रामगोपाल यादव शामिल हैं. विवेक तन्खा ने भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को भी इसी मामले पर अलग से चिट्ठी लिखी है.
उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्य न्यायाधीश और न्यायपालिका को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय पर फैसला सुनाने वाले हैं. तत्कालीन गवर्नर कोश्यारी ने ही उद्धव सरकार से विश्वास मत हासिल करने को कहा था. विश्वास मत से पहले ही उद्धव सरकार ने इस्तीफा दे दिया था. उनकी जगह पर एकनाथ शिंदे की सरकार आ गई. जून 2022 में शिवसेना दो फाड़ हो गई थी. एक गुट का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे थे, जबिक दूसरे गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे के पास था. उद्धव गुट ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने सवालों की झड़ी लगा दी थी.
26 नवंबर 2021 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भी हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर जजों को ट्रोल किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. उन्होंने कहा था कि इस तरह के हमले जानबूझकर किए जाते हैं, ये स्पॉंसर होते हैं, इसके पीछे एक खास मकसद होता है. उन्होंने कहा था कि हाल के दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने तब कहा था कि केंद्रीय एजेंसियों को इस तरह के मामलों में कार्रवाई करनी चाहिए. इसके जवाब में कानून राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि कानून बनाकर सोशल मीडिया पर किसी की आलोचना को बंद करवाना व्यावहारिक समाधान नहीं है.
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