मुंबई:महाराष्ट्र विधानसभा में मॉनसून सत्र में हंगामे की वजह से भाजपा के निलंबित 12 विधायकों ने सोमवार शाम को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करके अपना पक्ष रखा. इस दौरान विधायकों ने एमवीए सरकार की शिकायत करते हुए राज्यपाल से प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की.
मुलाकात के दौरान राज्य विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक आशीष शेलार के नेतृत्व में विधायकों ने पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों से इंकार करते हुए ज्ञापन सौंपा. निलंबित विधायकों ने ज्ञापन में बताया कि एमवीए (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस सहित महा विकास अघाड़ी) के विधायकों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और हम पर दोष मढ़ दिया. कहा कि विधानसभा में पेश किए गए ओबीसी प्रस्ताव में कई मुद्दे समुदाय के लिए राजनीतिक कोटा बहाल करने में मदद नहीं करने वाले थे और हम सभी इस मुद्दे पर बोलना चाहते थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई.
निलंबित विधायकों में आशीष शेलार, हरीश पिंपले, संजय कुटे, नारायण कुचे, गिरीज महाजन, अभिमन्यु पवार, बंटी बांगडीया, योगेश सागर और अतुल भातखलकर शामिल हैं. दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा में मंत्री छगन भुजबल ने ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के सम्बंध में विधानसभा में प्रस्ताव रखा. साथ ही ये बात की गई कि केंद्र सरकार इम्पीरीयल डेटा उपलब्ध कराए.
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इसके बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवींस ने कहा कि केंद्र सरकार से डाटा मांगने से मसला सुलझने वाला नहीं है, राज्य सरकार हमें पूरी तरह से गुमराह कर रही है. इसके बाद बीजेपी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया. वहीं सत्र के दौरान बीजेपी के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के केबिन में जा पहुंचे और सत्ता पक्ष के विधायकों से भिड़ गए. इस दौरान सत्र की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.