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केरल ने शीर्ष अदालत में कहा - राज्य में 12 रोहिंग्या शरणार्थी, ISI/ISIS से जुड़े होने की कोई जानकारी नहीं - illegal Bangladeshi citizens

केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि वायनाड के मुत्तिल में रहने वाले 2 नवजात शिशुओं सहित 2 परिवारों काे मिलाकर 12 रोहिंग्या शरणार्थी हैं और अब तक राज्य में रोहिंग्या के ISI/ISIS से जुड़े होने की कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

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Published : Nov 22, 2021, 8:34 PM IST

नई दिल्ली: केरल सरकार का यह हलफनामा बीजेपी सदस्य और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका के जवाब में आया है, जिसमें केंद्र और राज्यों को रोहिंग्या सहित अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

राज्य ने न्यायालय को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों की अवधि में राज्य में रोहिंग्याओं के खिलाफ अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.

केरल में कोई सीमा पार खतरे का अंदेशा नहीं थी जबकि राज्य में तटीय क्षेत्र हैं. हलफनामा के मुताबिक संबंधित अधिकारियों को तटीय पुलिस, कदलोरा जागृता समिति (kadalora Jagratha Samithi) और तट रक्षक के प्रभावी सहयोग से समुद्री मार्ग से अवैध प्रवासियों की आमद पर कड़ी नजर रखने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं.

राज्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और झारखंड से बड़ी संख्या में प्रवासी केरल आते हैं और इसलिए संबंधित अधिकारियों को अवैध प्रवासियों की आमद को रोकने के लिए उनकी पहचान सत्यापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं.

हलफनामा के मुताबिक, वर्तमान में म्यांमार के 12 रोहिंग्या और 214 पाक नागरिक राज्य में रह रहे हैं. 107 पाक नागरिकों के दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन एमएचए के पास लंबित हैं. एक पाक नागरिक अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है. 94 आउट ऑफ व्यू (OV) पाक नागरिकों में, 87 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं.

राज्य सरकार, फर्जी यात्रा दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले या देश में गुप्त रूप से प्रवेश करने वाले विदेशियों का पता लगाने के लिए ठोस कदम उठा रही है.

गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार ने उन विदेशियों का पता लगाने के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जो 1.01.2011 से भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं.

पिछले पांच वर्षों से, गिरफ्तार किए गए सत्तर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों में से, 57 को निर्वासित कर दिया गया था और शेष 13 (तेरह) राज्य में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं.

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