नई दिल्ली : तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदरशन को शनिवार को 100 दिन पूरे हो जाएंगे. इस मौके पर किसान मोर्चा ने प्रदर्शन तेज करने, काले झंडे फहराने और केएमपी हाईवे को ब्लॉक करने की घोषणा की है. सिंघू बॉर्डर पर किसान संगठनों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को केएमपी एक्सप्रेसवे को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक ब्लॉक करने की घोषणा की है. किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर शनिवार को केएमपी टोल प्लाजा फ्री किया जाएगा.
इसके अलावा किसान संगठनों ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन देने का एलान किया है और सरकार के खिलाफ अपने विरोध को चिह्नित करने के लिए घरों, दुकानों, वाहनों और अपने बाजूओं पर काले बैंड लगाकर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों की अपील की है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि किसान प्रदर्शन के दौरान अब 250 से अधिक किसानों की मौत हो गई है.
विरोध प्रदर्शन के 100 वें दिन पूरे होने के साथ ही यह प्रदर्शन देश में सबसे लंबे समय तक चलने वाले किसान विरोध प्रदर्शनों बन जाएगा. विरोध स्थलों पर भीड़ कम होने के बावजूद, किसान नेताओं ने दावा है किया है कि विभिन्न जिलों में आयोजित की जा रही महापंचायतों के माध्यम से उनके आंदोलन का दायरा बढ़ता जा रहा है.
अब तक किसान महापंचायतें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में आयोजित की जाती रही हैं, लेकिन किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 12 मार्च से वे उन पांच राज्यों में प्रवेश करेंगे, जहां इस महीने विधानसभा चुनाव होने हैं.
किसान मोर्चा ने कहा कि यह सरकार केवल वोट और शक्ति की भाषा को समझती है क्योंकि वे सत्ता के भूखे हैं, इसलिए हमने इन विधानसभा चुनावों में लोगों से भाजपा और उनके सहयोगियों को वोट नहीं देने का अनुरोध करके 'वोट की चोट' देने का फैसला किया है. हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम किसी भी राजनीतिक दल के लिए समर्थन या वोट नहीं मांग रहे हैं.
संयुक्ता किसान मोर्चा के नेता अभिमन्यु जौहर ने इस मामले में कहा कि हमारा आंदोलन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है, लेकिन चूंकि यह सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, अब किसान इन राज्यों में सरकार का समर्थन नहीं देकर सबक सिखाएंगे.
बता दें कि अभिमन्यु जौहर किसान प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे हैं और वह सरकार के साथ हुई 12 दौर की बातचीत में शामिल थे.
गणतंत्र दिवस पर किसान समूह द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान समूह के बीच आने वाले समय में चर्चा फिर से होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं.
सरकार पर अधिक दबाव बनाने के लिए किसान मोर्चा देश भर से अपने आंदोलन को और अधिक समर्थन जुटाने के लिए कई गतिविधियों की योजना बना रहा है और उन्हें क्रियान्वित कर रहा है. साथ ही चुनावी राज्यों में उनके प्रवेश को भाजपा पर दबाव बनाने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है.