नई दिल्ली: मणिपुर के सभी 10 कुकी-ज़ोमी-हमर विधायकों ने शुक्रवार को कहा कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अदालत में ले जाएंगे, अगर दोनों मणिपुर हिंसा से संबंधित अपने दावों को साबित करने के लिए सबूत देने में विफल रहे. इन दस विधायकों ने एक बयान में कहा कि हम केंद्रीय गृह मंत्रालय से म्यांमार से अवैध घुसपैठियों का विवरण और कुकी-ज़ो-हमर गांवों के ग्राम रक्षा प्रयासों में उनकी भागीदारी के प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह करते हैं.
हम सॉलिसिटर जनरल से आग्रह करते हैं कि वे इंफाल के मुर्दाघरों में अवैध घुसपैठियों के शवों का सबूत पेश करें, अन्यथा अदालत और राष्ट्र से माफी मांगनी होगी. हाओखोलेट किपगेन, किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग, एलएम खाउते, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटज़मांग हाओकिप, चिनलुनथांग, नेमचा किपगेन, पाओलीनलाल हाओकिप और वुंगज़ागिन वाल्टे सहित विधायकों ने शाह और मेहता की उनके हालिया बयान के लिए खुले तौर पर आलोचना की है.
शाह ने बुधवार को संसद में बताया कि मणिपुर में जारी अशांति का प्रमुख कारण म्यांमार से अवैध घुसपैठ है. सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कथित तौर पर कहा था कि मणिपुर में जातीय हिंसा के अधिकांश लावारिस शव घुसपैठियों के हैं. दस विधायकों ने कहा कि जहां हमारे लोग अभी भी मणिपुर पुलिस के नेतृत्व में मैतेई मिलिशिया द्वारा हमारे गांवों पर लगातार हमलों से जूझ रहे हैं, वहीं यह निराशाजनक है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने संसद में कहा कि कुकी-ज़ोमी-हमार लोगों पर जातीय सफाया घुसपैठ के कारण होने वाली अशांति है.